राहुल ने MGB तो चिराग ने NDA में फंसाया बंटवारा ?

राहुल ने MGB तो चिराग ने NDA में फंसाया बंटवारा ?


🔴अच्छी, खराब और कितनी सीटों पर उलझा गठबंधन

सीजी न्यूज ऑनलाइन 23 सितंबर। बिहार में चुनाव की घोषणा से पहले सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में टिकट मांग रहे नेताओं की सांस अटकी है। नवरात्र शुरू है और छठ तक एक के बाद एक हिन्दू पर्व लगे हैं। अच्छी सीट से लेकर सीटो की संख्या पर सहमति फंसी नजर आ रही है।

नवरात्र के साथ ही बिहार में पर्व-त्योहार का मौसम शुरू है। महापर्व छठ तक कई पूजा-व्रत लगे रहेंगे। चुनाव की घोषणा से पहले सीट बंटवारे के दावे कई नेता कर रहे हैं, लेकिन किसी भी दल के दावेदारों को पता ही नहीं है कि उनका टिकट पक्का है या कच्चा। दुर्गा पूजा का मेला सजने लगा है लेकिन नेता प्रचार करने के बदले उम्मीदवार बनने के लिए पटना और दिल्ली में कैंप कर रहे हैं। चुनाव आयोग दशहरा के बाद किसी भी समय चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है। सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन (MGB) में सीटों की संख्या के साथ-साथ क्वालिटी (हार-जीत के लिहाज से अच्छी और खराब सीट) पर मामला अच्छे से फंसा हुआ है।

सूत्रों का कहना है कि एनडीए में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी- रामविलास (LJP-R) किसी भी सूरत में 30 सीट से नीचे जाने को राजी नहीं हैं और वो 2020 में एनडीए में रही पार्टियों की जीती कई सीटों पर दावा कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) चिराग पासवान को 20-22 विधानसभा सीट के ऊपर से राज्यसभा और विधान परिषद में भी सीट का ऑफर देकर मनाने की कोशिश में है। ‘बिहार बुला रहा है’ बोलेकर कई रैलियां कर चुके चिराग की मुश्किल ये है कि पार्टी के अंदर इतने दावेदार हैं कि 30 सीट मिलने पर भी कई नेता छूट जाएंगे।

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एनडीए का सीट बंटवारा सुलझाने के लिए अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच पटना में एक बैठक भी हुई थी जिसमें बीजेपी और जेडीयू के राज्य के टॉप नेता मौजूद थे। सूत्रों यह भी कहते हैं कि जेडीयू किसी भी सहयोगी दल से सीधे बात नहीं कर रही है। भाजपा को चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा से बात करनी है। एक टेबल पर पांच दलों के नहीं बैठने से बात बीजेपी के जरिए जेडीयू और सहयोगी दलों के बीच घूम रही है। मांझी 15 सीट नहीं मिलने पर अकेले लड़ने की धमकी दे रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा नसीहत दे रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की तरह सेल्फ गोल ना हो जाए।

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छह विपक्षी दलों के महागठबंधन में स्थिति और तनावपूर्ण है। राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस में इतना उत्साह आ गया है कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव से भी संभाले नहीं संभल रहा है। लालू यादव ने मौन धारण कर लिया है जो अगर चाह लें तो सीधे सोनिया गांधी या राहुल गांधी से बात कर सारी उलझन खत्म कर सकते हैं। 2020 में 70 सीटें लड़कर 19 जीतने वाली कांग्रेस इस बार भी उतनी ही सीट मांग रही है। पसंद की ‘अच्छी’ सीटें मिले तो कांग्रेस 55-60 तक जा सकती है लेकिन यह बात दूसरे दलों को नहीं पच रही है। 29 सीटें लड़कर 16 सीट जीती तीनों लेफ्ट पार्टियों ने भी सीटों की डिमांड बढ़ाई है। 12 सीट जीतने वाली सीपीआई-माले कह रही है कि पिछली बार भी उसे कम सीटें मिली थीं, जबकि उसका स्ट्राइक रेट बेहतर है।

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सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का तेजस्वी को संदेश है कि सरकार बनने की सूरत में मुख्यमंत्री आपको ही बनना है तो सीटों पर समझौता करिए। राजद जैसे ही 2020 में कांग्रेस के प्रदर्शन की बात छेड़ती है तो वो जिताऊ सीटों की बात करने लगती है। 2020 में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 23 परसेंट था। मात्र 10 सीट से विपक्षी दलों का गठबंधन सरकार बनाने से चूक गया था।

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तेजस्वी यादव के लिए मुकेश सहनी भी एक मसला हैं जो 2020 में अंतिम समय पर एनडीए में भाग गए थे। सहनी को भी ठीक-ठाक और ढंग की सीट चाहिए। कांग्रेस वाले सहनी को तेजस्वी के खाते में डाल रहे हैं। कह रहे हैं कि राजद ने 2020 में जो 144 सीटें लड़ी थी, उससे सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को सीट दे। हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के लिए सीट निकालने का भार कांग्रेस ने तेजस्वी पर ही डाल दिया है। कांग्रेस ने सीट बंटवारे की बातचीत में ‘तेजस्वी को सीएम बनना है’ को हथियार बना लिया है और इसके एवज में समझौते करने का दबाव दे रही है।