10 से अधिक वर्कर्स वाले निजी संस्थाएं POSH ACT के तहत करे समिति का गठन

10 से अधिक वर्कर्स वाले निजी संस्थाएं POSH ACT के तहत करे समिति का गठन


🔴आदेश का पालन नहीं करने पर 50 हजार का जुर्माना – कलेक्टर दुर्ग

दुर्ग, 24 सितंबर। कलेक्टर अभिजीत सिंह ने जिले के सभी अशासकीय कार्यालयों/संस्थाओं/व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सर्व प्रमुख को महिलाओं के कार्यस्थल पर लैगिक उत्पीडन (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 (पीओएसएच) के कियान्वयन के सबंध में आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए है। निर्देशानुसार जिले के अंतर्गत ऐसे समस्त अशासकीय कार्यालयों/संस्थाओं/व्यापारिक प्रतिष्ठानों, जहां 10 या 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत है, वहां पीओएसएच एक्ट 2013 के अंतर्गत आंतरिक शिकायत समिति का गठन किये जाएंगे। पीओएसएच एक्ट 2013 के अंतर्गत आंतरिक शिकायत समिति के गठन का आदेश जारी करने की जिम्मेदारी कार्यस्थल के प्रत्येक नियोक्ता की होगी। सभी अशासकीय कार्यालयों/संस्थाओं/व्यापारिक प्रतिष्ठानों के संचालको को निर्देशित किया गया है कि एक सप्ताह के भीतर आंतरिक शिकायत समिति का गठन कर आदेश की कॉपी एवं निर्धारित प्रारूप में अद्यतन जानकारी कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला-दुर्ग को हॉर्ड कॉपी एवं dpodurg@gmail.com में सॉफ्ट कॉपी प्रेषित करना सुनिश्चित करें।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के द्वारा निर्देश दिये गये है कि गठित समितियों का महिला एवं बाल विकास विभाग भारत सरकार व्दारा सृजित (शी-बॉक्स) पोर्टल पर 14 अक्टूबर 2025 के पूर्व ऑनबोर्ड किया जाना आवश्यक है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिपालन में अशासकीय कार्यालयों/सस्थाओं/व्यापारिक प्रतिष्ठानों में गठित आंतरिक शिकायत समिति की जानकारी भारत सरकार के वेबसाईड https://shebox.wcd.gov.in के विकल्प Private Head office Registraion (निजी मुख्य कार्यालय पजीकरण) में जाकर एन्ट्री की जाएगी। कोई अशासकीय कार्यालय/संस्था/व्यापारिक प्रतिष्ठान जहां 10 या 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत है, पीओएसएच एक्ट 2013 के अंतर्गत आंतरिक शिकायत समिति का गठन करने में विफल होती है, तो अधिनियम की धारा-26 के अनुसार संबंधित कार्यालय को 50 हजार रूपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जाऐगा।

POSH Act 2013 क्या है

पीओएसएच एक्ट (POSH Act) एक भारतीय कानून है जो कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध और निवारण के लिए है, जिसे “कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013” के नाम से जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल बनाना है और यदि कोई उत्पीड़न होता है, तो उसके निवारण की प्रक्रिया प्रदान करना है। इस अधिनियम के अनुसार, 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी संगठनों के लिए एक आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) बनाना और कर्मचारियों को इस बारे में प्रशिक्षित करना अनिवार्य है।