पैरेंट्स के विश्वास ने हीं गांव की बेटी को बना दिया डॉक्टर पढि़ए गांव की पहली महिला डॉक्टर दामिनी की सफलता की कहानी
भिलाई नगर 4 मई । बचपन से गांव और स्कूल की दूरी नापी थी। जब मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए पहली बार शहर आई तो यहां की फास्ट लाइफ देखकर डर लगता था। कोचिंग में शहर के स्टूडेंट्स की तैयारी भी काफी अच्छी थी ऐसे में सोचती थी कि इन सबके बीच क्या मेरा सलेक्शन हो पाएगा। शायद इसी डर से आगे बढऩे की प्रेरणा भी मिली। 12 वीं के बाद पहले ड्रॉप में मात्र तीन नंबर से सलेक्शन से चुक गई थी। ऐसा लगा कि एक पल में सब कुछ छिन गया। काफी दिनों तक डिप्रेशन में भी रही तब पापा ने कहा कि इन तीन नंबरों के फासले को मिटाने के लिए एक बार फिर कोशिश करो। ड्रॉप इयर बढ़ रहा इसकी चिंता किए बिना पूरे मन से तैयारी में जुट जाओ। पापा की इन बातों ने सच में मेरे अंदर एक अलग लेवल की एनर्जी भर दी। सेकंड ड्रॉप में कड़ी मेहनत की बदौलत साल 2014 में ऑल इंडिया पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। ये कहानी है रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में बतौर जूनियर रेसीडेंट अपनी सेवाएं दे रही रायगढ़ जिले के खरसिया से 15 किमी. दूर एक छोटे से गांव की रहने वाली डॉ. दामिनी पटेल की। डॉ. दामिनी कहती है कि मुझसे ज्यादा मेरी मेहनत और सक्सेस पर पैरेंट्स को भरोसा था। जब भी मैं डिप्रेस होती या फिर गिवअप करने का सोचती तो पैरेंट्स हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते। वे कहते थे तुम्हार सलेक्शन जरूर होगा। उनका विश्वास ही था कि आज मैं अपने गांव की पहली महिला डॉक्टर बन गई हूं।
कैमेस्ट्री लगता था टफ
12 वीं बोर्ड तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से करने वाली डॉ. दामिनी ने बताया कि उन्हें मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के दौरान कैमेस्ट्री बहुत टफ लगता था। कोचिंग में सबसे ज्यादा मेहनत कैमेस्ट्री का फंडा क्लीयर करने में की। शुरुआत में शहर के बच्चों के साथ पढऩा और कॉम्पिटिशिन करना बहुत मुश्किल था। उन लोगों का बेसिक बहुत अच्छा था। टेस्ट सीरिज में भी रैंक बहुत पीछे आता था। धीरे-धीरे कड़ी मेहनत से ये फासला भी मिटने लगा। पहली बार घर से इतने दूर थी हॉस्टल में भी एडजेस्ट करना आसान नहीं रहा। कुल मिलाकर देखा जाए तो संघर्ष से शुरू हुए इस सफर का अंत काफी सुखद रहा। आज जब पीछे पलटकर अपने दो साल के संघर्ष को देखती हूं तो लगता है अगर मैंने गिवअप कर दिया होता तो शायद जीवन में कभी डॉक्टर नहीं बन पाती।
सचदेवा में काउंसलिंग से मिली काफी मदद
मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज को चुनने वाली डॉ. दामिनी ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ मेंटल हेल्थ का हेल्दी होना भी बहुत जरूरी है। शुरुआत में डर और डिप्रेशन दोनों हावी था। सचदेवा में टीचर्स और डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की काउंसलिंग से काफी मदद मिली। हर दिन टीचर्स की मोटिवेशन स्पीक सुनकर दोगुनी मेहनत करने का मन होता था। सचदेवा में हर सब्जेक्ट की बेसिक से तैयारी कराई जाती है। इसके अलावा यहां पढऩे का माहौल बहुत अच्छा है। छत्तीसगढ़ का बेस्ट टेस्ट सीरिज भी यहीं आयोजित होता है। मेन एग्जाम से पहले आपको मेंटल और फिजिकल दोनों तरह से तैयार कर दिया जाता है।
अपने डर का सामना करना सीखें
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगी कि आप अपने डर का सामना करना सीखें। जब पढ़ाई करते हैं तो बार-बार में मन में ये ख्याल आता है कि मेरा सलेक्शन नहीं हुआ तो क्या करूंगी। ऐसे में खुद के इस डर का सामना करें और खुद से कहें कि हजारों सीट में से मुझे सिर्फ एक सीट चाहिए इसलिए मेरा सलेक्शन जरूर होगा। जब आप खुद का हौसला बढ़ाएंगे तो डर अपने आप खत्म होने लगेगा। लक्ष्य पर फोकस रहने के लिए खुद को सेकंड च्वाइस मत दीजिए। सिर्फ एक ही लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करिए।