धान घोटाला : 63 लाख की हेराफेरी, 2000 क्विंटल से ज्यादा धान गायब

धान घोटाला : 63 लाख की हेराफेरी, 2000 क्विंटल से ज्यादा धान गायब


सीजी न्यूज ऑनलाइन 13 जून। धान खरीदी में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। बिलासपुर जिले की सेवा सहकारी समिति मर्यादित पोंड़ी में धान खरीदी के नाम पर 63 लाख रुपये से अधिक का गबन किया गया है। घोटाले में दो हजार क्विंटल से ज्यादा धान गायब पाया गया है, जिससे किसानों में गहरा आक्रोश है और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

धान खरीदी के इस घोटाले का खुलासा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के शाखा प्रबंधक अभिषेक शर्मा की शिकायत के बाद हुआ। उन्होंने सकरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि वर्ष 2023-24 में समिति ने 55,476 क्विंटल धान की खरीदी की थी।

इसमें से 2,226.77 क्विंटल धान स्टॉक में मौजूद होना चाहिए था, लेकिन मौके पर केवल 195.77 क्विंटल अमानक धान मिला। यानी 2,031 क्विंटल धान रहस्यमय तरीके से गायब हो गया, जिसकी बाजार कीमत लगभग 62 लाख 96 हजार रुपये आंकी गई है।इस मामले में तीन प्रमुख जिम्मेदारों की भूमिका संदिग्ध पाई गई तात्कालीन संस्था प्रबंधक अरुण कुमार कौशिक केंद्र प्रभारी रामखिलावन धुर्वे,कंप्यूटर ऑपरेटर हरी यादव पुलिस ने इन तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर घोटाले की आपराधिक जांच शुरू कर दी है। जांच में यह भी सामने आया है कि स्टॉक सत्यापन, रिकॉर्ड एंट्री और निगरानी में गंभीर लापरवाही बरती गई।

स्टॉक सत्यापन के समय जानबूझकर रिकॉर्ड छुपाए गए और गलत जानकारी प्रस्तुत की गई। पुलिस को इस घोटाले में अधिकारियों की मिलीभगत और सुनियोजित योजना की आशंका है। सीएसपी निमितेश सिह ने बताया कि हमने एफआईआर दर्ज कर ली है। जांच में स्टॉक में 2000 क्विंटल से ज्यादा धान गायब पाया गया। आरोपियों की भूमिका की गहराई से जांच की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले के सामने आने के बाद किसानों और ग्रामीणों में जबरदस्त नाराज़गी है। ग्रामीणों ने कड़ी कार्रवाई और नुकसान की भरपाई की मांग की है। वहीं, जिला प्रशासन ने भी आंतरिक जांच के आदेश दे दिए हैं। फिलहाल पुलिस इस घोटाले के हर पहलू की जांच में जुटी हुई है। धान खरीदी जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में इस तरह की हेराफेरी न सिर्फ किसानों के भरोसे को तोड़ती है, बल्कि पूरे सिस्टम की जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करती है। देखना होगा कि इस मामले में सरकार और प्रशासन किस हद तक दोषियों को जवाबदेह ठहराते हैं।