F-35C फाइटर जेट क्रैश के बाद P-8A एयरक्राफ्ट स्क्रैप

F-35C फाइटर जेट क्रैश के बाद P-8A एयरक्राफ्ट स्क्रैप


🔴 अमेरिकी नौसेना को 1 हफ्ते में दूसरा बड़ा झटका, चीन से कैसे लड़ेंगे?

सीजी न्यूज ऑनलाइन 01 अगस्त। P-8A एयरक्राफ्ट, जिसे बोइंग 737-800 बेस पर बनाया गया था, वो एक आधुनिक समुद्री सर्विलांस और एंटी-सबमरीन एयरक्राप्ट है। लेकिन हादसे के बाद अब इसे स्क्रैप करने की योजना बनाई गई है। हादसे के बाद जब टेक्नोलॉजी के हिसाब से मरम्मत पर आने वाले खर्च का आकलन किया गया, तो पता चला कि वो काफी ज्यादा है।

अमेरिका की नौसेना को F-35C फाइटर जेट क्रैश होने के बाद अब P-8A एयरक्राफ्ट को स्क्रैप करने पर मजबूर होना पड़ा है। जिससे उसकी तैयारियों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यूएस नेवी का ये एयरक्राफ्ट साल 2023 में हवाई में रनवे से आगे निकलकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसके बाद अब P-8A पोसाइडन एयरक्राफ्ट को स्क्रैप करने का फैसला लिया गया है। जबकि 30 जुलाई को ही कैलिफोर्निया में अमेरिकी नौसेना का एक एफ-35सी फाइटर जेट, एक एयरक्राफ्ट कैरियर पर क्रैश हो गया था। P-8A एयरक्राफ्ट और एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट, अमेरिकी नौसेना के महत्वपू्र्ण संपत्ति रहे हैं और सर्विलांस से लेकर हमला करने की क्षमता में बहुत बड़ा स्तंभ माने जाते हैं। द वॉर जोन ने अमेरिकी नौसेना की P-8A एयरक्राफ्ट को स्क्रैप करने की रिपोर्ट की अधिकारियों के हवाले से पुष्टि की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि P-8A एयरक्राफ्ट, जिसे बोइंग 737-800 बेस पर बनाया गया था, वो एक आधुनिक समुद्री सर्विलांस और एंटी-सबमरीन एयरक्राप्ट है। लेकिन हादसे के बाद अब इसे स्क्रैप करने की योजना बनाई गई है। हादसे के बाद जब टेक्नोलॉजी के हिसाब से मरम्मत पर आने वाले खर्च का आकलन किया गया, तो पता चला कि वो काफी ज्यादा है। करीब 2 हफ्ते तक खारे पानी में डूबे रहने की वजह से एयरक्राफ्ट का एयरोफ्रेम अत्यधिक खराब हो गया है। इसलिए आधिकारिक तौर पर अब इस एयरक्राफ्ट को स्क्रैप करने का फैसला लिया गया है। हालांकि विमान के कई कंपोनेंट्स, जो अच्छे हालात में हैं, उन्हें बाहर निकाल लिए गये हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर दूसरे P-8A एयरक्राफ्ट में लगाए जाएंगे। विमान को स्क्रैप करने का काम शुरू हो चुका है और इस महीने की आखिर तक पूरे विमान को खत्म कर दिया जाएगा।

P-8A एयरक्राफ्ट को स्क्रैप करने का काम शुरू
आपको बता दें कि 20 नवंबर 2023 को P-8A एयरक्राफ्ट मरीन कॉर्प्स एयर स्टेशन कानेओहे बे के रनवे से बेकाबू होकर उतर गया था, जो यूएस मरीन कॉर्प्स बेस हवाई का एक कंपोनेंट है। उस दौरान बारिश हो रही थी और बादलों की वजह से दृश्यता कम हो गई थी। उस वक्त हवा की रफ्तार 21 समुद्री मील था। विमान कानेओहे खाड़ी में उथले पानी में, तट से लगभग 50 गज दूर, मूंगे और रेत पर टिका हुआ था। हालांकि गनीमत ये रही कि हादसे के दौरान यूएस नेवी का का कोई भी कर्मचारी घायल नहीं हुआ और सभी सुरक्षित बेस पर लौट आए। बाद में विमान में रखा 2000 गैलन ईंधन बाहर निकाल लिया गया। लेकिन विमान करीब 2 हफ्ते तक पानी में रहा। जिससे विमान के कई पूर्जे गंभीर तौर पर खराब हो गये।

अमेरिकी नौसेना शुरू में विमान को बचाना चाहती थी और अनुमान लगाया था कि इसके मरम्मत में करीब 15 लाख डॉलर खर्च होंगे। नौसेना ने विमान को सेवा में वापस लाने के लिए कई कोशिशें की, लेकिन उन्हें अहसास हुआ कि लागत बहुत ज्यादा है और विमान की मरम्मत करना अब संभव नहीं रहा। 17.1 करोड़ डॉलर से ज्यादा मूल्य के इस विमान को पूरी तरह से नष्ट मान लिया गया था और P-8A कार्यक्रम के लिए यह पहला विमान था। आपको बता दें कि पी-8 की मैक्सिमम सीमा लगभग 7,500 किलोमीटर और 10 घंटे की क्षमता है, जिससे यह विमान हिंद महासागर या दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में लंबी दूरी की गश्त कर सकता है। इसके अलावा यह विमान आधुनिक निगरानी और टोही उपकरणों से लैस है, जैसे कि लंबी दूरी का एक्स-बैंड रडार जो सैकड़ों किलोमीटर दूर समुद्री वस्तुओं की पहचान कर सकता है। इसमें सोफिस्टेकेटेड इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सिस्टम और हाई-रिजॉल्यूशन वाले डिजिटल इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल (ईओ) और इन्फ्रारेड (आईआर) सेंसर भी लगे हैं।

भारतीय नौसेना के पास भी है P-8I एयरक्राफ्ट
आपको बता दें कि भारत भी P-8A एयरक्राफ्ट का भारत भी इस्तेमाल करता है और भारतीय वैरिएंट का नाम भारत भी P-8I है। यहां I का मतलब इंडिया से है। भारत ने अभी तक 12 P-8I खरीदे हैं और 6 P-8I एयरक्राफ्ट के लिए भारत पहले ही ऑर्डर दे चुका है। भारत इसे अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में सर्विलांस के लिए इस्तेमाल करती है। इसकी सबसे खतरनाक क्षमता समुद्र के अंदर छिपी पनडुब्बियों को ट्रैक करने की है। ऑपरेशन सिंदूर होने से पहले P-8I एयरक्राफ्ट को अरब सागर में लगातार उड़ान भरते देखा गया था। कई एक्सपर्ट्स का मानना था कि भारतीय नौसेना, अरब सागर में चीनी पनडुब्बियों की मौजूदगी का पता लगा रही थी।

बात अगर अमेरिकी नौसेना की करें तो एफ-35सी स्टील्थ फाइटर जेट और P-8A, दोनों इंडो-पैसिफिक में अमेरिका की स्ट्रैटजिक बढ़त में काफी अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन इन विमानों के नुकसान से यूएस नेवी की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। फिलहाल अमेरिकी नौसेना ने दुर्घटनाग्रस्त P-8A विमान की जगह नया एयरक्राफ्ट खरीदने की इच्छा नहीं जताई है, लेकिन F-35C स्टील्थ फाइटर जेट का बार बार दुर्घटना का शिकार होना, दुनिया के सबसे महंगे लड़ाकू विमान कार्यक्रम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं। इससे पहले आपको याद होगा ब्रिटिश नौसेना का भी F-35B एयरक्राफ्ट खराब हो गया था और एक महीने से ज्यादा वक्त तक भारत के केरल में रहा था।