भिलाई नगर, 31 दिसंबर। सत्ता के स्वाद और निकटता से बड़े बड़े पत्रकार गड़बड़ा जाते हैं। सत्ता और पत्रकारिता का पुराना संबंध रहा है, सत्ता के निकट आकर पत्रकार या तो एक दम विरोध में आ जाते हैं या फिर एक दम समर्पित हो जाते हैं। आप इसको निभाते कैसे हैं, यह आपकी बुद्धमत्ता को तय करेगा। हर साल आयोजित होने वाले “एक शाम स्वागत के नाम” कार्यक्रम में अपना प्रवचन देने पंडित विजय शंकर मेहता भिलाई सेक्टर 5 पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने सत्ता और मीडिया के सामंजस्य पर बोलते हुए कहा कि सत्ता तो सत्ता है। उसका स्वभाव ही है सब कुछ पा लेना है, वह मीडिया पर भी अपना अधिकार चाहेगी। चूंकि भारत में लोकतंत्र है, मीडिया स्वतंत्र है इसलिए इसमें अपनी पत्रकारिता को कैसे जीवित रखना है यह बुद्धिमत्ता की बात है।
कार्यक्रम में प्रवचन देने से पहले पंडित मेहता मीडिया से मुखातिब हुए।
उन्होंने कहा कि अब सत्ता पत्रकारिता पर अपना दखल ही नहीं मालिकाना हक भी चाहती है। इसलिए आज के युवा पत्रकारों को तय करना है कि इसे संजोना कैसे है। देश में लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों पर पंडित मेहता ने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा इसका सबसे बड़ा कारण है कि आज का युवा शरीर को आधारित करके जी रहा है। असफलता सबको हाथ लगती है। जिंदगी जब केवल शरीर को आधारित करके जी जाती है तो उसका अगला स्टेप है मन और उसका अगला स्टेप आत्मा है। हमारे भारत का बेसिक सोचने का ढंग आत्मा आधारित है, आज की युवा पीढ़ी इसे नहीं मानती, अधिकतर युवा पीढ़ी आज फिजिकल बॉडी आधारित जीवन जी रहे हैं इसलिए वह असफलता से विचलित होकर आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा रहे हैं।
पंडित विजय शंकर मेहता ने धर्म पथ और कर्तव्य पथ को एक बताते हुए कहा कि आज साइंस और टेक्नोलॉजी का समय है। आज के बच्चे धर्म और कर्तव्य को नहीं मानते हैं। उस पर ध्यान नहीं देते हैं, यह काफी चिंता का विषय है। युवा पीढ़ी को इस मार्ग पर लाने के लिए योग पर रुचि रखनी होगी।