भारी नुकसान के बाद माओवादी संगठन नेतृत्व विहीन हो गया : आईजी बस्तर

भारी नुकसान के बाद माओवादी संगठन नेतृत्व विहीन हो गया : आईजी बस्तर


सीजी न्यूज ऑनलाइन 24 सितंबर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सोमवार को हुई मुठभेड़ में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की संगठनात्मक और सैन्य गतिविधियों की देखरेख करने वाले दो वरिष्ठ माओवादी नेताओं के मारे जाने से कमजोर होते नक्सली संगठन को एक और झटका लगा है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के केंद्रीय समिति के दोनों सदस्य अनेक हिंसक घटनाओं के ‘मास्टरमाइंड’ रहे हैं, जिनमें कई जवान शहीद हुए और निर्दोष नागरिकों की जानें गईं।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी ने बताया कि सुरक्षा बल अबूझमाड़ क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन का सफाया करने के लिए लगातार माओवादी विरोधी अभियान चला रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप माओवादी सशस्त्र समूहों और उनके तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा है और उनके प्रभाव क्षेत्र में कमी आई है।

सुंदरराज ने कहा कि हाल के दिनों में प्रतिबंधित संगठन को गंभीर और अपूरणीय क्षति हुई है, जिससे संगठन खंडित, नेतृत्वविहीन और दिशाहीन हो गया है।

उन्होंने कहा कि जो संगठन कभी एकजुट मोर्चा हुआ करता था, वह अब आंतरिक कलह और गंभीर संकटों से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि सोमवार को हुई मुठभेड़ में कोसा दादा और राजू दादा की मौत ने संगठन को और कमजोर कर दिया है।

सुंदरराज ने कहा कि वर्ष 2024 में जिस सशक्त अभियान की गति बनी थी, वह वर्ष 2025 में भी लक्षित, निरंतर और उच्च प्रभाव वाले अभियानों के माध्यम से आगे बढ़ाई जा रही है। जनवरी 2024 से 22 सितंबर 2025 तक बस्तर में 437 को कुख्यात माओवादी मारे गए हैं।

उन्होंने कहा, “वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध लड़ाई अटूट संकल्प, शक्ति और प्रतिबद्धता के साथ तब तक जारी रहेगी जब तक इस संगठन का पूरी तरह समूल नाश नहीं हो जाता। हिंसा के मार्ग पर अब भी डटे माओवादी कैडरों से अपील की गई कि वे हथियार त्याग कर आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा में लौट आएं, अन्यथा कठोर परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहें।”

नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रॉबिन्सन गुरिया ने बताया कि केंद्रीय समिति के दोनों सदस्य राजू दादा और कोसा दादा पिछले तीन दशकों से दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति में सक्रिय थे और अनेक हिंसक घटनाओं के ‘मास्टरमाइंड’ रहे थे, जिनमें कई जवान शहीद हुए और निर्दोष नागरिकों की जानें गईं।

गुरिया ने बताया कि राजू दादा, जो पड़ोसी राज्य तेलंगाना के करीमनगर जिले के तिगालागुट्टा पल्ली का निवासी था, गुडसा उसेंडी, विजय और विकल्प जैसे उपनामों से भी जाना जाता था।

तक कानूनी और अर्बन कोऑर्डिनेटर तथा अन्य दायित्व सौंपा गया था। वह 2008 से 2019 तक पूर्व बस्तर डिवीजन का प्रभारी और उत्तर सब जोनल ब्यूरो का सचिव रहा। 2019 से वह दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव था।

अधिकारी ने बताया कि राजू दादा प्रतिबंधित संगठन का केंद्रीय समिति सदस्य था और वह 27 नक्सली घटनाओं का मुख्य आरोपी था। इनमें छत्तीसगढ़ में 16, महाराष्ट्र में पांच, तेलंगाना में चार और आंध्र प्रदेश में दो घटनाएं शामिल हैं।

गुरिया ने बताया कि राजू कई नक्सली हमलों में वांछित था, जिसमें 2009 का महारबेड़ा हमला जिसमें सीआरपीएफ के 27 जवानों की मृत्यु हुई थी, 2020 का जोनागुडेम हमला जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और 2022 का टेकलगुडा हमला जिसमें छत्तीसगढ़ में 22 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे, शामिल हैं।

तेलंगाना के करीमनगर के गोपालारोपल्ली सिरसिल्ला का रहने वाला अन्य नक्सली कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण, रेड्डी, गोपन्ना और बुचन्ना के नाम से भी जाना जाता था।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह 1980 से डीकेएसजेडसी का सदस्य था और 2001 और 2011 तक इसी संगठन का सचिव पद संभाला था। वह 2023 से माड डिवीजन का कमांड प्रभारी और उत्तर क्षेत्रीय समिति का प्रभारी भी था, साथ ही वह माओवादियों की केंद्रीय समिति और केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो का सदस्य भी था।

उन्होंने बताया कि कोसा दादा 62 नक्सली घटनाओं में आरोपी है, जिनमें महाराष्ट्र में 48, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में छह-छह और आंध्र प्रदेश में दो घटनाएं शामिल हैं।

अधिकारी के मुताबिक कोसा दादा कई बड़े नक्सली हमलों में भी शामिल था, जिनमें 2009 का मदनवाड़ा हमला भी शामिल है, जिसमें राजनांदगांव जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) विनोद चौबे और 26 अन्य सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। इसके अलावा, 2012 में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण और 2009 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में मरकाटोला में घात लगाकर किया गया हमला भी शामिल है, जिसमें 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।

IG ने बताया कि दोनों पर 1.8 करोड़ रुपये (छत्तीसगढ़ में 40 लाख रुपये, मध्यप्रदेश में 15 लाख रुपये, ओडिशा में 25 लाख रुपये, तेलंगाना में 25 लाख रुपये, आंध्र प्रदेश में 25 लाख रुपये और महाराष्ट्र में 50 लाख रुपये) का इनाम घोषित था।

उन्होंने कहा कि नारायणपुर, बीजापुर, कांकेर और दंतेवाड़ा ज़िलों में लगभग पांच हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला अबूझमाड़ एक घना जंगली और पहाड़ी क्षेत्र है, जो सशस्त्र माओवादी दस्तों और माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व के लिए सुरक्षित पनाहगाह और छिपने के ठिकाने प्रदान करता है।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि पिछले दो वर्षों में क्षेत्र में सुरक्षा शिविरों की स्थापना और माओवादी विरोधी अभियानों के कारण माओवादियों का गढ़ काफी कमज़ोर हो गया है। (भाषा)