राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने संबंधी समूह 06 की बैठक में तय हुए अनेक बिन्दु, कुलपति डॉ अरुणा पलटा की अध्यक्षता में हुई बैठक

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने संबंधी समूह 06 की बैठक में तय हुए अनेक बिन्दु, कुलपति डॉ अरुणा पलटा की अध्यक्षता में हुई बैठक


दुर्ग 7 अप्रैल । छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लिये गये निर्णयानुसार समूचे छत्तीसगढ़ प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने जा रही है। शासन के आदेश के परिपालन में गठित विभिन्न उच्च स्तरीय समितियों में समिति कमांक 06 की ऑनलाईन बैठक हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति, डॉ. अरूणा पल्टा की अध्यक्षता में आज आयोजित हुई। इस बैठक में छत्तीसगढ़ में अगामी शिक्षण सत्र 2024-25 से लागू होने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संबंध में शासन पर आने वाले वित्तीय भार के संबंध में समिति के सदस्यों के मध्य विस्तार से चर्चा हुई।

इस बैठक के संबंध में चर्चा करते हुए कुलपति, डॉ. अरूणा पल्टा ने बताया कि आज की बैठक में उनके स्वयं के अलावा डॉ. जे. एस. विरदी, रूसा कार्यालय, रायपुर से डॉ. वेणुगोपाल, शासकीय डीबी गर्ल्स कॉलेज, रायपुर की प्राचार्य, डॉ. किरण गजपाल, बिलासपुर के प्राचार्य, डॉ. राजीव खेर, शासकीय महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक, डॉ. आशीष कुमार आसटकर, डॉ. ए. के. द्विवेदी तथा मैट्स यूनिवर्सिटी रायपुर के कुलसचिव, श्री जी. पांडा ऑनलाईन रूप से उपस्थित थे।
डॉ. पल्टा ने बताया कि अगामी सत्र 2024-25 में छत्तीसगढ के समस्त विश्वविद्यालयों में लगभग साढ़े तीन लाख विद्यार्थी के अध्ययनरत् होने की आशा है। पिछले कई वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह प्रतीत होता है कि प्रत्येक वर्ष उच्च शिक्षा में लगभग 50 से 60 हजार विद्यार्थी की संख्या में वृद्धि होती है। शासन की यह मंशा है कि सन 2035 तक छत्तीसगढ़ का जीईआर अनुपात 50 प्रतिशत् के आस-पास हो जावे। डॉ. पल्टा ने कहा कि उनकी समिति राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने पर प्रति छात्र शासन पर आने वाले व्यय का आंकलन भी करने का प्रयास करेगी। यह अभी प्रक्रियाधीन है। शिक्षा के साथ-साथ शोध को बढ़ावा देने के लिए भी यह समिति विभिन्न प्रस्ताव अनुमोदन हेतु शासन को प्रस्तुत करेगी। बैठक में समिति के सदस्यों ने यह सुझाव दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर शोधार्थियों एवं अन्य विद्यार्थियों को धनराशि प्रदान करने वाली एजेंसियां जैसे-यूजीसी, डीबीटी, डीएसटी, सीएसआईआर आदि की तर्ज पर राज्य स्तर पर भी फंडिंग एजेंसी की स्थापना की आवश्यकता है।
महाविद्यालयों की समस्याओं के संदर्भ में डॉ. पल्टा ने कहा कि उनकी समिति द्वारा किये जाने वाले वित्तीय आंकलन में महाविद्यालयों में आधारभूत संरचना, प्रसाधनों को उपलब्धता, स्वच्छ पेयजल व्यवस्था, साफ-सफाई तथा सुरक्षा, ग्रंथालय, पार्किंग आदि पर आने वाले व्यय को भी समाहित करने का प्रयास करेगी। डॉ. वेणुगोपाल द्वारा दिये गये धन्यवाद ज्ञापन के साथ बैठक समाप्त हुई।