🟪 बहुत जल्द बाजार में उतारने की तैयारी
सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 10 जनवरी। आपको शायद ये सुनकर आश्चर्य होगा कि गाय के गोबर से ट्रैक्टर चलाया जा सकता है। सभी ने पेट्रोल और डीजल से तो गाड़िया चलते हुए देखी होगी लेकिन क्या आपने कभी गाय के गोबर से ट्रैक्टर चलते हुए देखा है? लेकिन ये बात सच है कि गाय के गोबर से ट्रैक्टर भी चलाया जा सकता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गाय के गोबर का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। गाय के गोबर से जैविक खाद बनाई जाती है। गाय के गोबर से बायो गैस बनाई जाती है। गाय के गोबर का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में भी किया जा सकता है लेकिन गाय के गोबर से ट्रैक्टर चलाना हर किसी को आश्चर्य में डालने जैसा है। लेकिन ये कर दिखाया है ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने। जिन्होंने गाय के गोबर का इस्तेमाल करके ट्रैक्टर को चलाने का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इस ट्रैक्टर के बारे में बताया जा रहा है कि यह दूसरे ट्रैक्टरों के बराबर ही प्रदर्शन करता है और इससे प्रदूषण भी कम होता है। यह ट्रैक्टर पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित बताया जा रहा है। इस ट्रैक्टर के लिए करीब 100 गायों के गोबर को एकत्रित करके बायोमीथेन (पॉजिटिव मीथेन) में बदला गया है। इस ट्रैक्टर में एक क्रायोजेनिक टैंक लगाया गया और इस तरल ईंधन को जलाया गया। इस प्रकार इस ट्रैक्टर में गोबर का ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस ईंधन से 270 बीएचपी का ट्रैक्टर आसानी से चलाया जा सकता है। क्रायोजेनिक इंजन करीब 160 डिग्री का तापमान प्रोड्यूस करता है और बायो मिथेन को लिक्विफाइड करता है। इस ट्रैक्टर का निर्माण कोर्निश कंपनी बेनमन ने किया था। अभी वैज्ञानिक इसे कई चुनौतियों के लिए भी टेस्ट कर रहे हैं। इससे इस ट्रैक्टर को बाजार में आने में भी कुछ वक्त लगेगा। वैज्ञानिकों के द्वारा ट्रैक्टर के इस प्रकार से किए गए प्रदर्शन को लेकर लोग काफी खुश हैं क्योंकि यदि ये ट्रैक्टर बाजार में आता है तो इससे प्रदूषण कम होगा जिससे पर्यावरण को शुद्ध रखने में मदद मिलेगी। ट्रैक्टर के बारे में ब्रिटेन की कंपनी के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस ट्रैक्टर के आविष्कार से इको फ्रेंडली एनवायरमेंट बनाए रखने में मदद मिलेगी। ट्रैक्टर की विशेषता बताते हुए उन्होंने बताया कि इस ट्रैक्टर को वातावरण से बड़ी मात्रा में मीथेन को हटाकर जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के हिसाब तैयार किया गया है। मिथेन में वायुमंडल को गर्म करने की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले 80 गुना ज्यादा होती है, इसलिए इसे हटाकर और इसे अच्छे उपयोग में लाकर हम ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव को कम कर सकते हैं। इधर भारत में किसान जैविक खेती करके जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के साथ ही सभी चीजें बदल रही है। ऐसे में जैविक खेती आज के समय की मांग है। किसान गाय के गोबर का उपयोग जैविक खेती में करके अपनी फसल लागत को कम कर सकते हैं। जैविक खेती पूर्ण रूप से प्रकृति पर निर्भर होती है। इसमें शरीर को हानि पहुंचाने वाले रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नहीं किया जाता है। भारत सरकार भी जैविक खेती करने वाले किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है। किसान इसका लाभ उठा कर जैविक खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं।