बिलासपुर, 2 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के 2200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आरोपी आबकारी विभाग के निलंबित अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन की जमानत अर्जी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फिर से खारिज कर दिया है।
जस्टिस अरविन्द कुमार वर्मा की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि भ्रष्टाचार मानव अधिकारों का उल्लंघन है और भ्रष्ट लोकसेवकों को दंडित करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।
अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है बल्कि समाज के मूल्यों को भी कमजोर करता है।
पिछले महीने, हाईकोर्ट ने इन आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन पर ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा) द्वारा शराब घोटाले और नकली होलोग्राम के मामलों में एफआईआर दर्ज की गई थी।
गिरफ्तारी के बाद अरुणपति त्रिपाठी और त्रिलोक ढिल्लन ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अलग-अलग अर्जियां दायर की थीं, जिन्हें अब अदालत ने खारिज कर दी है।