सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 4 जनवरी। देश के कई राज्यों में शराब प्रतिबंधित कर दी गई है। जिन प्रांतों में शराब बंदी है वहां भी खुफिया तरीकों से अवैध शराब की पहुंच भी पूरे देश में खासी चर्चा और बहस का मुद्दा जहां हमेशा से रही है वहीं शराब पर प्रतिबंध न लगाने वाले राज्य की सरकार भी एक बडे़ वर्ग के लिए हमेशा कटघरे में खड़ी की जाती रही है। दरअसल शराब की बतहाशा बिक्री और इस पर मिलने वाले राजस्व का वजन इतना भारी होता है कि राज्य के खजाने की यह शराब एक तरीके से “जान” कही जा सकती है। जिन राज्यों में शराब बेची जाती है वहां राज्य सरकार द्वारा शराब पर खासा टैक्स भी वसूला जाता है और यह टैक्स सरकारी खजाने को लबालब करने अहम भूमिका अदा करता है़।
क्या आपको पता है कि 1000 रुपये की शराब पर राज्य सरकार कितना टैक्स वसूलती है? आपको जानकर हैरानी होगी कि कर्नाटक सरकार के राजस्व का लगभग 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा शराब की बिक्री से आता है। इसी तरह दिल्ली, हरियाणा, यूपी, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना में भी 15 से 30 फीसदी राजस्व शराब की बिक्री से आता है।केरल सरकार शराब पर भारी टैक्स लगाती है। केरल में भी शराब व्यापक रूप से बेची जाती है और करीब करीब 250 प्रतिशत कर यहां की सरकार द्वारा शराब पर लगाया जाता है। इस तरह तमिलनाडू गर्वमेंट को भी दारु की बिक्री से अच्छी खासी कमाई होती है। इन जगहों पर विदेशी शराब पर वैट, एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल ड्यूटी लगती है। औसतन अगर कोई 1000 रुपये की शराब खरीदता है तो उस पर 35 से 50 फीसदी तक टैक्स लगता है। यानि अगर आप 1000 रुपये की शराब खरीदते हैं तो उसमें से 350 रुपये से 500 रुपये सरकारी खजाने में जाते हैं। भारत के हर प्रदेश में इस पर अलग अलग टैक्स लगता है। 1961 से गुजरात में शराब के सेवन पर बैन लगा दिया गया है मगर बाहरी लोग स्पेशल लाइसेंस के जरिए शराब खरीद सकते हैं। पुडुचेरी को भी शराब की बिक्री से सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
सरकारी खजाने की “जान” बन गई है “शराब” 🟪 एक हजार की बाॅटल पर कितना टैक्स लेती है सरकार 🟫 जानकर हैरान रह जाएंगे आप….!