सीजी न्यूज ऑनलाइन 02 अक्टूबर। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी ICC की बात को मान लिया है और अपने यहां डोमेस्टिक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में BCCI की तरह इंजरी रिप्लेसमेंट रूल लागू कर दिया है। हालांकि, अभी ये ट्रायल बेस पर है, जो आगे टेस्ट में भी देखने को मिल सकता है।
इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के चौथे मैच के पहले दिन ऋषभ पंत को पैर में चोट लगी थी। उनके पैर की हड्डी टूट गई थी। ऋषभ पंत की यही चोट वर्ल्ड क्रिकेट के लिए एक अब सबक बन चुकी है। मैच के दौरान कंधे के ऊपर की चोट को छोड़ दें तो किसी भी इंजरी के लिए रिप्लेसमेंट नहीं मिलता है, लेकिन आगे से इंटरनेशनल क्रिकेट में ऐसा देखने को मिल सकता है कि गंभीर चोट के लिए इंजरी रिप्लेसमेंट पूरे मैच के लिए मिल जाए। इसके लिए आईसीसी ने ऋषभ पंत की चोट के कुछ दिन बाद टेस्ट प्लेइंग नेशन्स को इंजरी रिप्लेसमेंट रूल का ट्रायल अपने यहां डोमेस्टिक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में करने को कहा था।
सबसे पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने अपने यहां इंजरी रिप्लेसमेंट रूल के ट्रायल की शुरुआत फर्स्ट क्लास क्रिकेट में की। अब इस लिस्ट में एक और क्रिकेट बोर्ड शामिल हो गया है, जिसने अपने यहां इस नियम का ट्रायल शुरू कर दिया है। ये क्रिकेट बोर्ड है क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया, जिसने शेफील्ड शील्ड में इस नियम को लागू कर दिया है। अगर कुछ और टेस्ट प्लेइंग नेशन इस रूल का अपने यहां ट्रायल करते हैं और यह सफल होता है तो इंजरी रिप्लेसमेंट रूल को टेस्ट क्रिकेट में भी लागू किया जा सकता है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने जानकारी दी है कि यह ट्रायल शेफील्ड शील्ड के पहले 5 राउंड के मैचों में इस्तेमाल किया जाएगा, र अगर सब कुछ ठीक रहा, तो यह पूरे सीजन तक जारी रह सकता है। फिलहाल, नियम यह है कि अगर कोई खिलाड़ी मैच के दौरान चोटिल हो जाता है, चाहे मैदान पर हो या मैदान के बाहर, लेकिन दूसरे दिन के खेल के अंत तक तो फिर टीम मूल एकादश के बाहर से किसी अन्य खिलाड़ी को मैदान में उतार सकती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि रिप्लेसमेंट लाइक-टू-लाइक होना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर कोई स्पिनर चोटिल होता है, तो उसकी जगह कोई दूसरा स्पिनर ही आ सकता है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अनुसार, चोट के कारण रिप्लेसमेंट का मुख्य उद्देश्य टीमों को किसी खिलाड़ी के चोटिल होने पर होने वाली असुविधा से बचाना है। चोट लगने पर अक्सर गेंदबाजों को अतिरिक्त ओवर डालने पड़ते हैं, जिससे थकान और आगे चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। रिप्लेसमेंट की वजह से इसमें संतुलन बनाए रखा जा सकता है। हालांकि, टीमों को इस नियम का दुरुपयोग करने से रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं। मैच रेफरी चोट की वैधता की जाँच करेगा और रिप्लेसमेंट प्लेयर की गतिविधियों पर प्रतिबंध भी लगा सकता है।
उदाहरण के लिए अगर कोई बल्लेबाज चोटिल हुआ है तो उसकी जगह बल्लेबाज ही आएगा और वह गेंदबाजी नहीं कर पाएगा। इसके अलावा इंजर्ड प्लेयर को 12 दिनों के लिए क्रिकेट से बाहर रहना होगा। इस बीच वह किसी भी मैच में नहीं खेलेगा। एक और बात यह है कि अगर दूसरी टीम चोट के कारण रिप्लेसमेंट प्लेयर का इस्तेमाल करती है, तो विरोधी टीम को भी एक रिप्लेसमेंट प्लेयर का इस्तेमाल करने की भी अनुमति होगी। इसका मतलब है कि एक टीम अनुचित बढ़त हासिल नहीं कर सकती। यह नियम कन्कशन रिप्लेसमेंट से अलग है, जो पहले से मौजूद है और मैच में कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां, रिप्लेसमेंट खिलाड़ी दूसरे दिन घोषित चोटों तक ही सीमित हैं।