गलतियों से सीख लेकर खुद को इस काबिल बनाया, 12 वीं बोर्ड में टॉप करते हुए किया सीजी पीएमटी क्वालिफाई, डॉ दादा को दी थी बचपन में चुनौती और डॉक्टर बनकर सपना किया पूरा*

गलतियों से सीख लेकर खुद को इस काबिल बनाया, 12 वीं बोर्ड में टॉप करते हुए किया सीजी पीएमटी क्वालिफाई, डॉ दादा को दी थी बचपन में चुनौती और डॉक्टर बनकर सपना किया पूरा*


गलतियों से सीख लेकर खुद को इस काबिल बनाया, 12 वीं बोर्ड में टॉप करते हुए किया सीजी पीएमटी क्वालिफाई, डॉ दादा को दी थी बचपन में चुनौती और डॉक्टर बनकर सपना किया पूरा 

 

भिलाई नगर 26 मार्च । आमतौर पर मेडिकल एंट्रेस और 12 वीं बोर्ड की तैयारी साथ-साथ करना बहुत मुश्किल माना जाता है। इसलिए ज्यादातर स्टूडेंट बोर्ड एग्जाम पर फोकस करके ड्रॉप के बारे में सोचते हैं। आज हम आपको एक ऐसे डॉक्टर से मिलवा रहे जिन्होंने बिना ड्रॉप लिए पहले ही अटेम्ट में सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। साथ ही उसी साल बोर्ड एग्जाम के टॉप 10 में भी अपनी जगह बनाई। हम बात कर रहे हैं डौंडी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ खरोरा रायपुर निवासी डॉ. वासु कन्नौजे की जिन्होंने गलतियों से सीख लेकर खुद को इस काबिल बनाया कि उन्हें ड्रॉप इयर की जरूरत ही नहीं पड़ी। डॉ. वासु ने बताया कि उनका बचपन का सपना था कि वे डॉक्टर बने। घर में दादा जी और बड़े भाई पहले से डॉक्टर थे इसलिए वे दादा जी से कहते कि देखना एक दिन मैं आपसे बड़ा डॉक्टर बनूंगा। धीरे-धीरे यही बातें पेशन में तब्दील हो गई। हिंदी मीडियम स्टूडेंट होने के बाद भी एक साल में दोनों परीक्षाओं में सफलता अर्जित की। डॉ. वासु कहते हैं मैंने खुद पर सफल होने का कभी दबाव नहीं बनाया बल्कि पढ़ाई को एंज्वाय करके पढ़ता था। लोग घंटे गिनते हैं लेकिन मैं जब समय मिले तभी पढ़ लेता था।

 

फिजिक्स में हुई थोड़ी दिक्कत पर प्रैक्टिस से किया स्ट्रांग

स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ मेडिकल एंट्रेस की तैयारी करने वाले डॉ. वासु ने बताया कि हर बायो स्टूडेंट की तरह उन्हें भी फिजिक्स में थोड़ी दिक्कत होती थी। लगातार प्रैक्टिस से इसे स्ट्रांग किया। बड़े भाई डॉक्टर हैं उन्होंने तैयारी के लिए बहुत अच्छी तरह गाइड किया। उनकी की गई गलतियां मैं न दोहराऊ ये सोचकर हर बात पर वो मुझे सही और गलत में फर्क करना बताते थे। बायो को रटने की बजाय डायग्राम बनाकर पढऩा मुझे अच्छा लगता था। सबसे बड़ी चीज मैंने टाइम मैनेज किया। कभी अपने रूटीन को टूटने नहीं दिया। स्कूल, कोचिंग और खाली वक्त में में पढ़ाई को दिनचर्या का हिस्सा बनाया।

सचदेवा के टीचर्स को देखकर सीखा हार्ड वर्क करना

11 वीं क्लास से मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा कोचिंग रायपुर ज्वाइन करने वाले डॉ. वासु ने बताया कि उनकी सफलता का श्रेय कहीं न कहीं सचदेवा के सारे टीचर्स को जाता है। यहां के टीचर्स इतने मेहनती है कि उन्हें देखकर ही मैंने हार्ड वर्क करना सीखा। घर जैसा माहौल और फ्रेंडली, मोटिवेशनल हेल्दी इनवायरमेंट में पढऩे का मजा दोगुना हो गया था। सफलता के लिए बाकी कोचिंग की तरह यहां प्रेशर नहीं डाला जाता बल्कि टीचर्स ये बताते हैं कि कहां कमी है और उसे कैसे ठीक करना है। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर तो अपने आप में पॉजिटिविटी की चलती फिरती दुकान है। उनसे मिलकर ही एनर्जी दोगुनी हो जाती थी। जब भी मैं निराश होता तो एक बार उनसे जरूर मिल लेता वो हमेशा मुझे कहते कि तुम कर सकते हो। उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया।

पढ़ाई में कभी ब्रेक नहीं लगाना है

नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगा कि आप कितने भी बिजी और थके हुए क्यों न हो पढ़ाई में कभी ब्रेक नहीं लगाना है। एक दिन भी रूटीन टूटता है तो हम दस लोगों से पीछे हो जाते हैं। इसलिए टाइम मैनेज करके हर सब्जेक्ट को उसी दिन रिविजन करना है। सफलता के लिए सबसे हेल्दी टिप्स है। जिसे जानते हुए भी कई स्टूडेंट फॉलो नहीं करते। एग्जाम से पहले पॉजिटिव लोगों के आस-पास रहे हैं। जो लोग निगेटिव बातें करते हैं उनसे दूरी बनाकर रखें।