चीजों को रटने की बजाय चार्ट बनाकर टांगता था दीवार पर, नहाते वक्त बाथरूम में भी चार्ट देखकर करता था रिविजन किसी भी विषय को साल्यूशन प्वाइंट ऑफ व्यू से सोचकर पढऩे का एटीट्यूट किया डेवलप
भिलाईनगर 4 सितंबर । बचपन से पढऩे में मेधावी सूरजपुर के डॉ. स्वपनिल कुमार गुप्ता को किसी भी विषय को रटने में खासी दिक्कत होती थी। यही कारण था कि 11 वीं में बायो लेकर पढऩे के बाद भी उनका वीक सब्जेक्ट बॉटनी और जूलॉजी था। मेडिकल एंट्रेस की तैयारी में इस वीक प्वाइंट को स्ट्रांग करने का डॉ. गुप्ता ने अनोखा तरीका निकाला। वे याद नहीं होने वाले टॉपिक को चार्ट बनाकर पढ़ते थे। चार्ट, रूम की हर दीवार और यहां तक बाथरूम में भी टांग कर रखते थे। ताकि हर वक्त उन चार्ट पर उनकी नजर बनी रहे और बार-बार टॉपिक दिमाग में रिवाइज होते रहे। इस तरह उन्होंने अपने दोनों वीक सब्जेक्ट को दुरूस्त किया। 12 वीं बोर्ड के बाद एक साल ड्रॉप लेकर साल 2009 में सीजी पीएमटी क्वालिफाई करने वाले डॉ. गुप्ता कहते हैं कि हर स्टूडेंट को अपने पढऩे का एटीट्यूट बरकरार रखना चाहिए। कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि एग्जाम निकलेगा या नहीं बल्कि यो सोचकर हंसते हुए पढऩा चाहिए कि जो होगा देख लेंगे। क्योश्चन की जगह अगर साल्यूशन प्वाइंट ऑफ व्यू से पढ़ाई की जाए तो हर मुश्किल एग्जाम को कै्रक किया जा सकता है।
घर में पहले से थे कई डॉक्टर इसलिए सफल होन का प्रेशर भी था
डॉ. गुप्ता ने बताया कि उनके परिवार में पहले से कई सदस्य डॉक्टर थे ऐसे में बायो लेकर एक सफल डॉक्टर बनने का प्रेशर हमेशा हावी रहा। इस प्रेशर को डिप्रेशन में कभी नहीं बदलने दिया। मैथ्स के प्रति लगाव था लेकिन एक जॉब सेटिसफेक्शन डॉक्टरी प्रोफेशन में दिखा। इसलिए 12 वीं बोर्ड के बाद डॉक्टर बनने का फैसला किया। परिवार के लोगों ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए पढ़ाई के हर दौर में मेंटली सपोर्ट और मोटिवेट किया। सीजी पीएमटी की तैयारी के लिए जब पहली बार भिलाई आया तब डॉक्टर बन चुके परिवार के बाकी सदस्यों ने भी काफी हौसला बढ़ाया और पढ़ाई के लिए गाइड किया।
सचदेवा की पूरी टीम करती है आपके सफलता के लिए कोशिश
सचदेवा कॉलेज भिलाई को मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए चुनने वाले डॉ. गुप्ता ने बताया कि सचदेवा एक ऐसी संस्था है जहां बच्चे के सक्सेस के लिए केवल बच्चा नहीं बल्कि वहां की पूरी टीम मिलकर कोशिश करती है। ऐसा इनवायरमेंट शायद ही किसी और कोचिंग में देखना मिलेगा। यहां संघर्ष के दौर में स्टूडेंट खुद को अकेला महसूस नहीं करता। यहां के टीचर्स अपने फील्ड में मास्टर हैं। उनके नोट्स और पढ़ाने का तरीका काबिले तारीफ है। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की गाइडलाइन भी हर स्टूडेंट काफी हद तक सफलता के करीब ले जाती है। 2009 में न ही सोशल मीडिया था और न ही इंटरनेट की इस कदर धमक ऐसा में कोचिंग के टीचर और यहां पढऩे वाले स्टूडेंट ही परिवार की भूमिका निभाते थे।
रोकर नहीं हंसकर पढऩा सीखो
नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूं कि जब आपने लक्ष्य तय कर लिया है तो उसे रोकर-गाकर पढऩे की बजाय हंसकर पढि़ए। हर चीज की इंज्वाय करना सीखें। जिस दिन आप पढ़ाई को इंज्वाय करके पढ़ेंगे उस दिन जीवन को देखने का नजरिया भी बदल जाता है। डिप्रेशन हर किसी को होता है लेकिन इसे हावी होने की बजाय ओवरटेक करना सीखे। खुद का मनोबल बढ़ाए ताकि निराशा में भी आशा की किरण ढूंढ पाए। पढऩे के लिए दूसरों की नकल करने की बजाय अपना खुद का तरीका आजमाना चाहिए जिससे चीजों को ज्यादा दिनों तक याद रख पाए।