भिलाई नगर 5 सितंबर । राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर 5 सितंबर को छत्तीसगढ़ से शासकीय अपर प्रायमरी स्कूल खेदामारा दुर्ग की शिक्षिका के. शारदा का भी चयन पुरस्कार के लिए किया गया है। राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने वाली छत्तीसगढ़ से एकमात्र शिक्षिका है।
के शारदा ने सीजी न्यूज ऑनलाइन से चर्चा करते हुए कहा कि उनके द्वारा आपदा को अवसर बनाया गया कोविड-19 के दौरान सब कुछ प्रभावित हो चुका था। परंतु बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकनी चाहिए इस चुनौती को स्वीकार करते हुए उनके द्वारा अत्याधुनिक शैक्षणिक नई तकनीक को अपनाया गया। ई-कंटेंट बनाएं एवं डिजिटल टूल्स का उपयोग किया गया। साथ साथ गणित की नई पुस्तिका भी तैयार की और उसका क्यू आर कोड जनरेट किया। ताकि बच्चे आसानी से बिना रुकावट के शिक्षा प्राप्त कर सके।
नई बुक तैयार कर बहु भाषा को दिया बढ़ावा
नई शिक्षा नीति के तहत बहु भाषा को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा कुछ पुस्तक भी बनाई गई। हिंदी से छत्तीसगढ़ी इंग्लिश से हिंदी एवं स्थानीय भाषा हलवी में भी बुक बनाई जिसके एक तरफ हल्बी तो दूसरे तरफ हिंदी भाषा का प्रयोग किया। इस बुक के माध्यम से बच्चे बस्तर के संस्कृति को भी जान पाए और बहु भाषा सीखने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ।
तीन राज्यों की स्कूलों किया संपर्क साझा किया ज्ञान एवं संस्कृति
के शारदा ने बताया कि उनके द्वारा अन्य राज्यों की संस्कृति को जानने के लिए तीन राज्य गुजरात महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश की एक-एक स्कूल के साथ ज्ञान का आदान-प्रदान करने एवं संस्कृति जन के प्रयास के साथ संपर्क स्थापित किया गया जिसमें गुजरात के गोधरा जिले के शासकीय प्राइमरी स्कूल पंचमहल महाराष्ट्र के पीएमसी समुद्रपुर एवं आंध्र प्रदेश की एक स्कूल के साथ संपर्क किया गया इस साझा कार्यक्रम के तहत बच्चों को अन्य प्रदेश की भाषा एवं संस्कृति जानने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
नवाचार से उद्देश्य हुआ पूरा
के शारदा ने कहा कि नवाचार के कारण से उन्हें अध्ययन एवं अध्यापन कार्य में अत्यधिक लाभ प्राप्त हुआ जो छात्र-छात्राएं स्कूल नहीं आते थे वह अधिक से अधिक संख्या में स्कूल आने लगे इन डिजिटल टूल्स और नई तकनीक से बनाए गए वीडियो को देखकर पढ़ने के लिए बच्चे प्रभावित हुए। और पढ़ाई जो उन्हें परेशान करती थी। वह आसान हो चुकी थी। वह बड़े ही उत्साह के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
बैसाखी के सहारे चलती हैं शारदा
कठिन परिश्रमी शिक्षिका के शारदा बैसाखी के सहारे से चलती है। दाहिना हाथ भी काम नहीं करता है। लेकिन काम के प्रति समर्पण ऐसा कि कोरोनाकाल में मोहल्ला क्लास में बच्चों को पढ़ाया। पढ़ाई से जुड़े 270 से ज्यादा वीडियो अपलोड किए और खुद की वेबसाइट तैयार कर बच्चों को मदद की।अब उन्हें राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने जा रहा है। शिक्षिका शारदा जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खेदामारा में बच्चों को पढ़ाती हैं। कोरोना में बच्चों के लिए बनी मदद वे साल 2009 से इस स्कूल में सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार और चुनौतियों का सामना करके मिसाल पेश की है… उनकी इसी काबिलियत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
शारदा ने कोविड-19 महामारी के दौरान सीमित संसाधनों के बावजूद ऑनलाइन और मोहल्ला कक्षाओं की शुरुआत की। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि छात्रों की शिक्षा बिना किसी रूकावट के जारी रहेगी।
दिव्यंगता को कभी आड़े नहीं आने दिया के शारदा ने
के शारदा बताती है कि वह शारीरिक रूप से 80% दिव्यांग है उनका एक हाथ काम नहीं करता है परंतु उनके द्वारा अपनी मेहनत एवं कठिन परिश्रम से दिव्यंगता को कभी बाधक नहीं बनने दिया। वे कहती है कि जीवन में कोई भी कठिनाइयां आपको आगे बढ़ने से कभी रोक नहीं सकती है। केवल आप में इच्छा शक्ति होनी चाहिए चुनौतियां एवं परेशानियां तो आती ही रहेगी परंतु वह अपने साथ एक रह भी लेकर आती है बस केवल आपको अपने आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाना है अपने आप समाधान प्राप्त हो जाता है।
नवाचार को अपनाने वाले 50 शिक्षक होंगे सम्मानित
देशभर के कुल 50 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया जाएगा। इसमें विजेताओं को 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार, रजत पदक और प्रमाण पत्र दिया जाएगा।यह कार्यक्रम नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया जाएगा, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिक्षकों को यह पुरस्कार देने वाली हैं।
उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार 2024 का उद्देश्य भारत के कुछ बेहतरीन संकाय सदस्यों के विशिष्ट योगदान को मान्यता देना है। छात्रों के जीवन में बदलाव लाने में शिक्षकों के प्रयासों को सम्मान देने के लिए यह पुरुस्कार दिया जा रहा है।