पैथालॉजिस्ट पिता से मिली डॉक्टर बनने की प्रेरणा, दो साल कड़ी मेहनत के बाद बेटी का हुआ डॉक्टर बनने का सपना पूरा, मेडिकल एंट्रेस पोसपोंड होने से आ गई थी डिप्रेशन में, काउंसलिंग से राह हुई आसान
भिलाई नगर 19 मार्च । पैथालॉजिस्ट पिता की जॉब से बेटी इतना इंस्पायर हुई कि वह बड़ी होकर डॉक्टर बनने का सपना देखने लगी। पिता ने भी बेटी के इस सपने को साकार करने के लिए उसे कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा दी। दो साल के ड्रॉप के बाद फाइनली बेटी साल 2012 में मेडिकल एंट्रेस क्लीयर करके आज रायपुर जिले के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है। ये कहानी है भाटापारा निवासी डॉ. स्वाति मुंदड़ा की, जो बार-बार मेडिकल एंट्रेस पोसपोंड होने के कारण एक वक्त पर बुरी तरह से टूट गई थी। डिप्रेशन में अपनी तैयारी नहीं कर पा रही थी। ऐसे समय में उन्हें काउंसलिंग से बड़ी हिम्मत मिली और हार मानने की बजाय आने वाली एग्जाम की तैयारी में जुट गई। डॉ. स्वाति ने बताया कि सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की उस एक काउंसलिंग ने उनकी जिंदगी बदल दी। उसका ही परिणाम है कि आज मैं डॉक्टर बनकर परिवार को गौरवान्वित कर पाई।
फिजिक्स में होती थी दिक्कत, प्रैक्टिस से किया स्ट्रांग
डॉ. स्वाति ने बताया कि जब उन्होंने मेडिकल एंट्रेस की तैयारी शुरू की तो फिजिक्स में काफी दिक्कत होती थी। फिजिक्स बार-बार पढऩे के बाद भी पल्ले नहीं पड़ रहा था। ऐसे में सचदेवा के एक्सपर्ट टीचर्स की मदद से कान्सेप्ट क्लीयर हुआ और बार-बार प्रैक्टिस से फिजिक्स की वीकनेस भी दूर हुई। सीजी बोर्ड स्कूल से पढ़ाई के कारण बेसिक काफी कमजोर था। इसलिए ड्रॉप के पहले साल पूरी मेहनत बेसिक को स्ट्रांग करने के लिए किया। पहले ड्रॉप में सलेक्शन तो नहीं हुआ लेकिन रैंक अच्छा आने के कारण दूसरे साल ड्रॉप के लिए घर वालों को कन्वेंस कर पाई।
एक ही छत के नीचे सभी विषयों की पढ़ाई से बचा समय
मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज को चुनने वाली डॉ. स्वाति ने बताया कि सचदेवा में सभी विषयों की पढ़ाई एक ही छत के नीचे होती है। जिसके कारण स्टूडेंट्स का काफी समय सेल्फ स्टडी के लिए बच जाता है। ये बात सचदेवा को बाकी कोचिंग से बेहद खास बनाती है। दूसरी बात अगर आप कन्फ्यूस हो या फिर आप डिप्रेशन के शिकार हो तो कभी भी आप यहां के टीचर्स और डायरेक्टर सर से बात करके खुद को निराशा से बाहर निकाल सकते हैं। कई बार मैं कॉल करके भी टीचर्स से अपने डाउट पूछा करती थी। टीचर्स के फ्रेंडली होने से पढ़ाई में काफी मदद मिलती है।
थ्योरी के साथ कान्सेप्ट रखें हमेशा क्लीयर
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहती हूं कि प्रैक्टिकल नॉलेज के साथ थ्योरी और कान्सेप्ट का क्लीयर होना भी जरूरी है। अगर आपका फिजिक्स वीक है तो बाकी सब्जेक्ट की तैयारी सौ फीसदी रखें। वीक सब्जेक्ट को छोड़े नहीं बल्कि इतनी तैयारी रखें कि आप उस विषय के कटऑफ को क्रास कर सकें। हमेशा खुद की काबलियित पर भरोसा रखें। ड्रॉप इयर में डिप्रेशन आए तो अपने बड़ों से बात करें आपको आगे बढऩे का हौसला मिलेगा।