India Pak Nuclear Power: परमाणु हमला आसान नही,माननी होती हैं ये शर्तें

India Pak Nuclear Power: परमाणु हमला आसान नही,माननी होती हैं ये शर्तें


🛑 दोनों देश हैं ‘परमाणु शक्ति’


सीजी न्यूज ऑनलाइन 07 मई। India Pak Nuclear Power: भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति से संपन्न देश हैं, लेकिन परमाणु हमला करना इतना आसान नहीं है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय नियम और शर्तों का पालन करना पड़ता है. इन देशों के पास अत्याधुनिक परमाणु हथियार हैं लेकिन इनका उपयोग बहुत विचार-विमर्श और गंभीर परिस्थिति में ही किया जा सकता है.

India Pak Nuclear Power in Hindi: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने बुधवार की रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की. इसके बाद परमाणु बम और हमले की चर्चा तेज हो गई है. भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश परमाणु हथियारों से लैस हैं. हालांकि इनका उपयोग करना आसान नहीं है. परमाणु हमला करने से काफी नुकसान होता है और यही वजह है कि परमाणु हमले (India Pak Nuclear Power) से पहले कुछ शर्तें माननी पड़ती हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.

भारत और पाकिस्तान के पास परमाणु बम (India Pak Nuclear Power)


भारत ने 1974 में “स्माइलिंग बुद्धा” नाम से पहला परमाणु परीक्षण किया, जबकि पाकिस्तान ने 1998 में अपने न्यूक्लियर हथियारों की ताकत दुनिया को दिखाई. दोनों देशों के पास बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम और परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता है लेकिन इसका इस्तेमाल करना इतना आसान नहीं होता.

परमाणु हमले से पहले कई शर्तें (Operation Sindoor on POK)


परमाणु हमला कोई साधारण फैसला नहीं होता. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों, कूटनीति और सैन्य प्रक्रिया का पालन जरूरी होता है. भारत की “No First Use” यानी पहले हमला न करने की नीति है. इसका मतलब है कि भारत तब तक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा जब तक उस पर न्यूक्लियर अटैक न हो. पाकिस्तान की नीति अलग मानी जाती है लेकिन फिर भी कोई देश बिना वैश्विक दबाव और आंतरिक प्रक्रिया के परमाणु बटन नहीं दबाता. दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों को लेकर नियंत्रण और लॉन्च की प्रक्रिया कई सुरक्षा परतें हैं.

अंतरराष्ट्रीय दबाव और परिणाम (India Pak Nuclear Power)


अगर कोई देश परमाणु हमला करता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों, सैन्य जवाबी हमले और वैश्विक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, परमाणु हथियारों की मौजूदगी के बावजूद, इनका इस्तेमाल आखिरी विकल्प माना जाता है.