रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक भारतीय न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में ईंधन ख़रीद को लेकर अमेरिका की ‘दोहरी नीति’ पर सवाल उठाए हैं.
इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा, “अमेरिका रूस से यूरेनियम ख़रीदता रहता है, जो न्यूक्लियर रिएक्टर फ़्यूल तैयार करने के लिए ज़रूरी है, जबकि वह भारत पर रूस से ऊर्जा आयात रोकने का दबाव डालता है.”
उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका को रूस से ईंधन ख़रीदने का अधिकार है, तो भारत को भी वही अधिकार मिलने चाहिए.”
“इस सवाल पर विस्तृत पड़ताल की ज़रूरत है और हम इस पर बातचीत के लिए तैयार हैं, राष्ट्रपति ट्रंप समेत.”
पुतिन भारत दौरे पर गुरुवार शाम नई दिल्ली पहुँचे.
एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद जाकर उनका स्वागत किया. चार सालों में ये पुतिन की पहली भारत यात्रा है.
अमेरिका ने 25 प्रतिशत रेसीप्रोकल टैरिफ़ के अलावा रूसी तेल आयात के लिए भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगा दिया है.
इसके बाद कहा जा रहा है कि रूस से तेल आयात करना भारत के लिए आसान नहीं होगा.
बीते नवंबर में जो आँकड़े आए हैं, उनमें भी पाया गया कि रूस से भारत का तेल आयात अक्तूबर 2025 में 30 फ़ीसदी तक घटा है.
इस इंटरव्यू में पुतिन ने दावा किया कि ‘रूस की भारत के साथ ऊर्जा साझेदारी स्थिर है और ये तात्कालिक उतार चढ़ाव या यूक्रेन की घटनाओं से प्रभावित नहीं होगी.’
वहीं ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा ख़रीदार है और इस तरह से वो पुतिन को यूक्रेन युद्ध में मदद पहुँचा रहा है. भारत इस आरोप का खंडन करता रहा है.
भारतीय अधिकारी ट्रंप प्रशासन के इस आरोप को ‘दोहरा मानदंड’ बता चुके हैं कि भारत रूस के युद्ध से मुनाफ़ा कमा रहा है.
ट्रंप प्रशासन की ओर से टैरिफ़ को हथियार की तरह इस्तेमाल किए जाने को लेकर पुतिन ने कहा, “वो अपनी नीति को आगे बढ़ाते हैं. उनके पास सलाहकार हैं जो मानते हैं कि व्यापार साझेदारों पर टैरिफ़ लगाने की नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को आख़िरकार फ़ायदा ही होगा. मुझे लगता है कि वो (ट्रंप) नेक नीयत से ऐसा करते हैं. हमारे सलाहकार मानते हैं कि इसमें हमारे लिए जोख़िम है.”
उन्होंने कहा, “हर देश और उसके नेताओं को ये फ़ैसला करने का अधिकार है कि वो कौन सी नीति चुनें. हम इस तरह की नीतियों में कभी शामिल नहीं रहे. न तो अभी और न आगे. हमारी अर्थव्यवस्था खुली है. मुझे उम्मीद है कि विश्व व्यापर संगठन के नियमों के सभी उल्लंघन आने वाले समय में सुधार लिए जाएँगे.”
पीएम मोदी के बारे में क्या कहा
व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस भारत से और ज़्यादा सामान ख़रीदने के लिए नए विकल्प ढूँढ रहा है, ताकि भारतीय आयात बढ़े और दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन कम हो.
व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि भारत और चीन दोनों उनके क़रीबी दोस्त हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग को ‘समझदार नेता’ बताया, जो मुश्किल मुद्दों को हल करने के लिए दृढ़ हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में उन्होंने कहा, “हमारे बहुत भरोसेमंद और दोस्ताना संबंध हैं. वह एक बेहद भरोसेमंद व्यक्ति हैं. इस मायने में मैं बिल्कुल ईमानदारी से बात कर रहा हूँ. भारत ख़ुशकिस्मत है कि उन्हें मोदी जैसा नेता मिला. वह भारत के लिए जीते और साँस लेते हैं.”
उन्होंने कहा, “मैं भारत और रूस के संबंधों को कई क्षेत्रों में मज़बूत करने के लिए पूरी तरह समर्पित हूँ, ख़ास तौर पर आर्थिक सहयोग, रक्षा, मानवीय साझेदारी और उच्च-तकनीकी विकास जैसे अहम क्षेत्रों में. उनसे मिलना बहुत दिलचस्प है.”
प्रधानमंत्री मोदी की मॉस्को यात्रा को याद करते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, “बेहद खुली बातचीत हुई थी. वह आए और हम मेरे आवास पर साथ बैठे. हमने पूरी शाम चाय पीते हुए कई मुद्दों पर चर्चा की. हमारी बस एक दिलचस्प बातचीत हुई.”
इससे पहले सितंबर के पहले सप्ताह में चीन के तियानजिन शहर में हुए शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइज़ेशन यानी एससीओ की बैठक में दोनों नेता मिले थे.
अक्तूबर में ट्रंप ने दावा किया था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से तेल ख़रीदना बंद करने पर सहमति जताई है.
उन्होंने 16 अक्तूबर को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे मित्र हैं. हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं. मैं इस बात से ख़ुश नहीं था कि भारत तेल ख़रीद रहा है और उन्होंने आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं ख़रीदेंगे.”
हालाँकि उनके दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया देते हुए ‘भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा को प्राथमिकता’ देने की बात कही थी.
ट्रंप ने कहा कि भारत ‘तुरंत’ तेल आयात बंद नहीं कर सकता, लेकिन यह बदलाव ‘एक प्रक्रिया का हिस्सा’ है और यह ‘जल्द ही पूरा हो जाएगा.’
पुतिन की भारत यात्रा से पहले भारत के रूसी तेल आयात में तेज़ गिरावट आई है.
दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के प्रमुख अजय श्रीवास्तव का कहना है, “आधिकारिक व्यापार आँकड़ों से पता चलता है कि अक्तूबर 2025 में रूस से कुल आयात साल-दर-साल 27.7 फ़ीसदी से घट गया, जो अक्टूबर 2024 के 6.7 अरब डॉलर से गिरकर इस साल 4.8 अरब डॉलर रह गया.”
उनके अनुसार, “अमेरिका रोसनेफ्ट और लुकोइल जैसी कंपनियों को निशाना बना रहा है. ये कंपनियाँ रूस के 57 फ़ीसदी तेल का उत्पादन करती हैं. इन कंपनियों से ख़रीद में तेज़ गिरावट आई है. अब आयात केवल उन रूसी कंपनियों से जारी हैं जो प्रतिबंध सूची में शामिल नहीं हैं, जो यह दिखाता है कि भारत अमेरिका की अपेक्षाओं के मुताबिक़ क़दम उठा रहा है.”


