हर हाल में हौसला बनाए रखने वाले को ही मिलती है सफलता, तीन बार का लूजर चौथे अटेम्प्ट में बना विनर, पढ़ें गांव के किसान पुत्र से डॉक्टर बने जितेंद्र की सफलता की कहानी


हर हाल में हौसला बनाए रखने वाले को ही मिलती है सफलता, तीन बार का लूजर चौथे अटेम्प्ट में बना विनर, पढ़ें गांव के किसान पुत्र से डॉक्टर बने जितेंद्र की सफलता की कहानी

भिलाई नगर 29 अप्रैल । . किसान पिता का सपना था बेटा बड़ा होकर डॉक्टर बनकर परिवार और गांव का मान बढ़ाए। जब यही बात उन्होंने अपने बेटे से शेयर की तो 12 वीं कक्षा में पढऩे वाला जितेंद्र भी पिता के सपने को पूरा करने के लिए तैयार हो गया। मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए मैदान में उतरा तो समझ में आया कि ये सफर आसान नहीं है। एक के बाद एक तीन साल तक तैयारी करने के बाद सफलता नहीं मिली तो बेटे ने गिवअप करने का मन बना लिया। अपना बोरिया बिस्तर समेटकर गांव आने की तैयारी में जुट गया। पर मन में एक कसक थी कि मैं पिता का सपना पूरा नहीं कर पाया। इसलिए एक साल और तैयारी करने का मन बनाया और चौथे साल सेल्फ स्टडी करके आखिरकार साल 2014 में ऑल इंडिया पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। पिता के सपना को जीवन का लक्ष्य बनाने वाले रायगढ़ जिले के ग्राम साल्हेपाली निवासी डॉ. जितेंद्र कुमार पटेल कहते हैं सफलता उन्हें ही मिलती है जो हर हाल में अपना हौसला बनाए रखते हैं। एक पल के लिए मैं भी हार गया था लेकिन फिर सोचा कि इन चार सालों का गेप कैसे भरूंगा इसलिए जो तय किया था उसी लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ संकल्पित हुआ। तब जाकर सफलता मिली। 

लोग पूछते थे क्या कर रहा है शहर में बेटा

मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के दौरान जब ड्रॉप इयर बढऩे लगा तो गांव में लोग और रिश्तेदार तरह-तरह की बातें करने लगे थे। पैरेंट्स से पूछते थे कि ऐसी कौन सी पढ़ाई कर रहा बेटा कि अभी तक डॉक्टर नहीं बन पाया। उस वक्त वे सिर्फ इतना ही कह पाते की जल्दी ही बेटा डॉक्टर बन जाएगा। शुरुआत में फिजिक्स में बहुत दिक्कत होती थी। फिजिक्स सब्जेक्ट पहाड़ जैसा लगता था लेकिन सचदेवा के टीचर्स और यहां के नोट्स के कारण सिलेबस आसान लगने लगा। डिप्रेशन के दौर में सबसे ज्यादा सपोर्ट पापा और भै्य्या ने किया। वे हर वक्त मुझसे कहते थे कि देखना एक दिन तुम जरूर डॉक्टर बनोगे। जब रिजल्ट आया तो उनके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी। पूरे गांव में उन्होंने मिठाइयां बांटी थी। 

टेस्ट सीरिज से मिली सबसे ज्यादा मदद

मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज को चुनने वाले डॉ. जितेंद्र ने बताया कि यहां के टेस्ट सीरिज से उन्हे सबसे ज्यादा मदद मिली। सचदेवा के टेस्ट सीरिज में एक साथ हजारों बच्चे बैठते है। एक तरह से इसे मिनी एग्जाम कह सकते हैं। टेस्ट के बाद टॉप 10, 20 में आने की होड़ और टॉपर्स का सम्मान देखकर खुद को मोटिवेट करता था। अगले टेस्ट में खुद को स्टेज पर देखने के लिए दिन रात मेहनत करता था। सचदेवा में जाकर सही मायने में कॉम्पिटिशन का लेवल समझ आया। यहां के टीचर्स बहुत ज्यादा सपोर्टिव हैं। वहीं सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की मोटिवेशन बातें सुनकर सौ की जगह दो सौ फीसदी ज्यादा मेहनत करने का मन करता था। स्टडी के लिए यहां का माहौल बहुत अच्छा है। 

खुद को करें मोटिवेट

नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूं कि आप दूसरों की बातें सुनकर या फिर दूसरों की सफलता देखकर महज कुछ दिनों या फिर यूं कहें कुछ समय के लिए ही मोटिवेट होते हैं। समय बीतने के साथ अपने रूटीन दिनचर्या में आ जाते हैं। इसलिए अपने आपको हर दिन मोटिवेट रखने के लिए सेल्फ मोटिवेशन का रास्ता अपनाएं। खुद को अपना लक्ष्य याद दिलाएं। साथ ही अपने सक्सेस के लिए खुद को यकीन दिलाएं। अपने आप से कहें कि मैं जरूर सफल होऊंगा। इस तरह की बातों से पढ़ाई के दौरान नेगेटिविटी नहीं आती। सबसे महत्वपूर्ण बात डेडीकेट रहें।