सेकंड ड्राप में सलेक्शन नहीं हुआ तो बना लिया था पढ़ाई छोडऩे का मन, रिश्तेदार कहते थे क्यों पैसा बर्बाद कर रहे, फैमिली ने बढ़ाया हौसला, कहा एक और कोशिश करो, सफलता मिलेगी
भिलाई. धमतरी जिले के नगरी क्षेत्र के बेलरगांव निवासी डॉ. आशुतोष कुमार टंडन ने दूसरे प्रयास में असफलता देखकर पढ़ाई छोडऩे का मन बना लिया था। वो मन ही मन सोचने लगे थे कि अब डॉक्टर की पढ़ाई मेरे बस की बात नहीं है। ऐसे समय में परिवार ने उन्हें हौसला दिया और कहा कि एक कोशिश और करो, सफलता जरूर मिलेगी। परिवार की बात मानकर उन्होंने तीसरा प्रयास किया और इस बार नीट क्वालिफाई कर ही लिया। ये कहानी है गांव के उस भोले-भाले स्टूडेंट की जो 12 वीं तक कभी अपने गांव से ही बाहर नहीं निकला था। ऐसे में देश के कठिन परीक्षाओं में से एक नीट की परीक्षा पास करके मेडिकल कॉलेज तक का सफर तय करना संघर्षों से भरा रहा। डॉ. टंडन ने बताया कि 12 वीं बोर्ड तक मेडिकल एंट्रेस के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। शिक्षक पिता जो अब इस दुनिया में नहीं है वो चाहते थे कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूं, तब से मैं यही सपना लेकर जीवन में आगे बढ़ रहा था।
नीट का सिलेबस देखकर लगता था डर, ऊपर से रिश्तेदारों के ताने
डॉ. टंडन ने बताया कि जब मैं पहली बार मेडिकल एंट्रेस की कोचिंग के लिए भिलाई गया तो नीट का सिलेबस देखकर डर लगता था। ऊपर से रिश्तेदारों के ताने सुनकर मन भारी हो जाता था। पहले ड्रॉप में सलेक्शन नहीं हुआ तो रिश्तेदार कहने लगे कि क्यों पैसा बर्बाद कर रहे है। काफी टाइम तक इन्हीं बातों को सोचकर मैं डिप्रेशन में चला जाता था। इन तीन सालों में मैं किसी फैमिली फंक्शन का हिस्सा भी नहीं बना। कोचिंग में बाकी छात्रों को देखकर खुद को मोटिवेट करता था कि जब वो कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई पर फोकस करने लगा।
सचदेवा में आकर मिला सही गाइडेंस
नीट की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज को चुनने वाले डॉ. टंडन ने बताया कि 12 वीं बोर्ड के बाद कुछ समझ नहीं आ रहा था। ऐसे समय में सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज में आकर सही गाइडेंस मिला। यहां की एक्सपर्ट फैकल्टी और सपोर्टिव इनवायरमेंट में मैंने खुद को बहुत जल्दी एडजेस्ट कर लिया। यहां की एक और बात है जो इसे बाकी कोचिंग से बहुत खास बनाती है वो है गरीब छात्रों की आर्थिक मदद। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर अच्छे माक्र्स लाने वाले कमजोर आर्थिक परिस्थिति वाले छात्रों की फीस में काफी छूट देते हैं। इससे बहुत बड़ी मदद गांव से आने वाले स्टूडेंट को मिल जाती है। यहां के टीचर्स कभी भी छात्रों को डिमोटिवेट होने नहीं देते।
खुद पर करें भरोसा
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहूता हूं कि आप दूसरों से अपनी तुलना मत करें, बल्कि खुद पर भरोसा करें। शुरुआत थोड़ी मुश्किल हो सकती है लेकिन आपने तय कर लिया तो मेडिकल कॉलेज पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। टेस्ट रेगुलर दिलाना चाहिए इससे आपको एग्जाम के प्रेशर को मैनेज करने में आसानी होती है।