“गर्मी के बारे में सोचता हूँ तो लगती, नहीं सोचता तो नहीं लगती है” – नजरिया जो बदल देगा आपकी जिंदगी

“गर्मी के बारे में सोचता हूँ तो लगती, नहीं सोचता तो नहीं लगती है” – नजरिया जो बदल देगा आपकी जिंदगी


सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 10 सितंबर। यह गर्मी की सीख किसी और ने नहीं, बल्कि खुद एंग्री यंग मैन यानि अमिताभ बच्चन ने अनुपम खेर को दी थी। हुआ ऐसा था कि अनुपम फिल्म इंडस्ट्री में नई सफलता की वजह से काफी खुश थे, काफी संघर्ष बाद उनकी फिल्म डैडी सुपर डुपर हिट रही नतीजतन इंडस्ट्री में अचानक पूछ परख बढ़ने से अभिमान स्वाभाविक भी था।
अनुपम अपनी किसी फ़िल्म की शूटिंग के लिए मद्रास गए हुए थे। वहां जाकर पता लगा की उनके मेकअप रूम का एसी काम नहीं कर रहा है। काफी हैरान परेशान अनुपम ने मैनेजर से कंप्लेन किया और बोले कि इस गर्मी की वजह से मेरी एक्टिंग स्किल्स नहीं निकल पा रही हैं, यहाँ कोई प्रोफेशनलिज्म नहीं है। ये कैसी व्यवस्था है, एयर कंडीशनर तक चल नहीं रहा, ऐसे में कैसे कोई काम करेगा?
अनुपम के पूछने पर कि उनका पहला सीन किसके साथ है, तो पता चलता है कि अमिताभ बच्चन के साथ उनका पहला शूट है।


अनुपम ने जब पूछा कि अमिताभ जी किधर हैं, तो मैनेजर ने इशारे में बताया उधर। अनुपम देखते हैं कि अमिताभ कोने में बैठे इस भीषण गर्मी में भी कंबल ओढ़े हुए हैं, विग और दाढी़ जैसी तमाम चीजें लगाए हुए हैं। अनुपम खेर गरमी की गर्मी दिमाग में लिए अमिताभ बच्चन के पास गए और उनसे पूछा कि – “सर आपको यह सब पहनकर गर्मी नहीं लग रही है?”
तब अमिताभ ने कहा – “अनुपम गर्मी के बारे में सोचता हूँ तो लगती, नहीं सोचता तो नहीं लगती है।”
यह सुनने के बाद अनुपम “निशब्द” हो गए। 
दरअसल विपरीत परिस्थितियों में हम अक्सर समाधान की बजाय परेशानियों को अधिक तवज्जो देने लगते हैं और यही आदत हमें जरूरत से ज्यादा परेशान करने लगती है। हमारा धैर्य कमजोर होता है जो सीधे जीवन के प्रति विश्वास को तोड़ती है और हम विपरीत हालात में समाधान खोजने की बजाय कब समस्या बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता। सबकुछ नजरिये पर ही आश्रित होता है इसलिए अभिमान की बजाय स्वाभिमान अपनाते हुए सदैव सकारात्मक रहें।