🟩 सरदार सरबजीत “बाॅबी” को 🙏”सैल्यूट”
सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 15 दिसंबर। तस्वीर में दिखाई दे रहे इस शख्स का नाम है सरबजीत सिंह, लेकिन लोग प्यार से इनको “बॉबी” के नाम से बुलाते हैं। शिमला के बाॅबी को न तो घर पे कोई काम है और न ही दूकान पर। ये कभी एंबुलेंस लेकर मरीजों को आईजीएमसी छोड़ने जा रहे होते हैं तो कभी मृत लावारिस लाशों को श्मशान ले जाते मिल जाएंगे। अमूमन शाम को जब लोग/पर्यटक माॅल रोड पर घूमते हुए मौसम का आनंद ले रहे होते हैं तो बेकाम “बाॅबी” कैंसर अस्पताल में मरीजों को खिचड़ी का लंगर लगा के खिला रहे होते हैं। सबेरे सबेरे उठ कर लोग जब सैर पर निकलते है और ये श्रीमान मरीजों को बिस्कुट खिला रहे होते हैं। रविवार को भी इनको चैन नहीं होता, ये माल रोड पर ब्लड कैंप लगा कर लोगों को ब्लड डोनेट करने की सलाह देते हुए खून निकालते दिखाई देंगे। यही दिनचर्या है शिमला के इस सरदार की। ऐसा ही है ये खाली इंसान।
ईश्वर अगर ऐसे ही खाली बंदे को हर शहर में पैदा कर दें तो स्वार्थ से भरी पूरी दुनिया में यकीनन खत्म होती “इंसानियत” को हम बचा लेंगे। बाॅबी जैसे लोग कभी भी न तो गरीबों को खाली पेट सोने देते हैं और न ही लाचार बेबस को अकेला छोड़ पाते हैं। वैसे भी आजकल कोई खाली नहीं जो दूसरों के लिए थोड़ा वक़्त निकाल सके। और दूसरों के बारे में सोच सके उनकी तकलीफों को अपना सके। ऐसी दुनिया में ऐसे रब के बंदे बॉबी हर शहर में क्यों नही पैदा होते? क्योंकि हर शहर में मरीज तो हैं लेकिन कोई उनको हाथ भी नही लगाता। लावारिस लाशें अक्सर लावारिस ही पड़ी रहती हैं। बिना जान पहचान मरीजों को चाय बिस्कुट खिलाने वाला, राह चलते परेशान बेसहारा लोगों को रोटियां खिलाना वाला खाली बंदा नहीं मिलता।