🛑 जिससे उसके भाव में आया जबरदस्त उछाल
सीजी न्यूज ऑनलाइन 21 फरवरी । भारत में सोने की खरीदारी का तरीका तेजी से बदल रहा है. जहां एक समय ज्वेलरी खरीदना सबसे पसंदीदा विकल्प था, अब लोग Gold ETFs और दूसरे फाइनेंशियल गोल्ड ऑप्शंस को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं.
World Gold Council के ताजा डेटा के मुताबिक, ज्वेलरी की मांग में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जबकि Gold ETFs में जबरदस्त उछाल आया है.
ज्वेलरी में 7% की गिरावट
भारत में गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड बीते तीन सालों से लगातार घट रही है. 2021 में 610 टन गोल्ड की खरीदारी हुई थी, जो 2022 में घटकर 600 टन, फिर 2023 में 575 टन और अब 2024 में 563 टन तक आने की उम्मीद है. यानी 2022 के मुकाबले 7% की गिरावट दर्ज की गई है.
इसकी सबसे बड़ी वजह सोने की कीमतों में भारी उछाल है. 2024 में गोल्ड की कीमतें 15% तक बढ़ीं, जिससे लोगों के लिए ज्वेलरी खरीदना महंगा हो गया.
इसके अलावा, making charges जो कुल कीमत का 10-25% तक होते हैं, वे भी एक बड़ा फैक्टर बन रहे हैं. इसके अलावा, नई पीढ़ी सोने को अब सिर्फ इन्वेस्टमेंट की नजर से देखने लगी है, न कि पारिवारिक विरासत के तौर पर.
Gold ETFs फायदे का सौदा
गोल्ड बार और कॉइन्स की डिमांड ज्यादा घटते-बढ़ते नहीं दिखी, लेकिन ये Gold ETFs की तुलना में कमजोर पड़ रहे हैं. 2021 में 186 टन गोल्ड बार और कॉइन खरीदे गए थे, जो 2022 में घटकर 173 टन हो गए. हालांकि, 2023 में 185 टन तक वापस बढ़े और 2024 में 239 टन तक पहुंचने की उम्मीद है.
हालांकि, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह शॉर्ट-टर्म ट्रेंड है, जो geopolitical tensions और गोल्ड की बढ़ती कीमतों की वजह से आया है. लॉन्ग टर्म में फिजिकल गोल्ड की तुलना में फाइनेंशियल गोल्ड ज्यादा फायदे का सौदा साबित हो रहा है.
जबरदस्त 216% उछाल
सबसे ज्यादा उछाल Gold ETFs में देखा गया है. AMFI के डेटा के मुताबिक,
2022 में Gold ETFs में कुल इनफ्लो 460 करोड़ था.
2023 में यह बढ़कर 2,919 करोड़ पहुंच गया.
2024 में यह 216% उछाल के साथ 9,225 करोड़ हो गया.
Gold ETFs में यह उछाल इसलिए आया है क्योंकि ये खरीदना और बेचना ज्यादा आसान और सुविधाजनक है. इसमें making charges और स्टोरेज का झंझट नहीं होता, और इसे स्टॉक एक्सचेंज पर किसी भी वक्त बेचा जा सकता है. खासतौर पर यंग इन्वेस्टर्स के लिए यह बहुत आकर्षक ऑप्शन बन गया है.
टैक्स स्ट्रक्चर ने भी बदली तस्वीर
2024 के Union Budget में हुए टैक्स बदलावों ने भी Gold ETFs की लोकप्रियता को बढ़ाया है. पहले Gold ETFs पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स 20% था अगर होल्डिंग 3 साल से ज्यादा की हो. लेकिन अब, Gold ETFs को सिर्फ 12 महीने होल्ड करने पर ही LTCG बेनिफिट मिल जाता है.
यही नहीं इस पर टैक्स अब सिर्फ 12.5% है, वह भी बिना किसी indexation के. वहीं, फिजिकल गोल्ड (ज्वेलरी, बार और कॉइन) पर यह लाभ पाने के लिए 24 महीने तक होल्ड करना जरूरी है. इस वजह से भी इन्वेस्टर्स अब Gold ETFs की ओर तेजी से शिफ्ट हो रहे हैं.
क्या भविष्य में भी जारी रहेगा यह ट्रेंड?
भारत में गोल्ड ज्वेलरी की सांस्कृतिक और परंपरागत अहमियत बनी रहेगी, खासतौर पर शादियों और त्योहारों में, लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिए लोग अब तेजी से Gold ETFs और दूसरे फाइनेंशियल गोल्ड ऑप्शंस को अपना रहे हैं.
आने वाले समय में फिजिकल गोल्ड की तुलना में Gold ETFs और डिजिटल गोल्ड का मार्केट तेजी से बढ़ेगा, क्योंकि यह ज्यादा सुरक्षित, सुविधाजनक और टैक्स-फ्रेंडली ऑप्शन है.