ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) टोल प्रणाली- वाहनों पर लगेगा ट्रैकर …? कैसे करेगा काम, पुराने वाहनों का क्‍या होगा, जानें सब कुछ इस खबर से

ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) टोल प्रणाली- वाहनों पर लगेगा ट्रैकर …? कैसे करेगा काम, पुराने वाहनों का क्‍या होगा, जानें सब कुछ इस खबर से


सीजी न्यूज ऑनलाइन डेस्क, 27 अप्रैल । जीपीएस टोल प्रणाली को लेकर आम लोगों के जेहन में ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे कि नए वाहनों में जीपीएस डिवाइस लगकर आएगी क्‍या …? पुराने वाहन चालकों में डिवाइस लगवानी होगी क्‍या..? इसे कौन लगवाएगा, सरकार या स्‍वयं, कितने का आएगा. जानें इन सवालों के जवाब
आपको बता दें कि जल्‍द ही वाहन चालकों को टोल चुकाने के लिए टोल प्‍लाजा में रुकने से जरूरत नहीं होगी. भविष्य में टोल प्लाजा को टाटा बाय-बाय करते हुए सभी वाहन नजर आएंगे । जीपीएस आधारित आटोमेटिक टोल प्रणाली लागू हो जाएगी. जिससे बिना रुके टोल का भुगतान हो जाएगा. देश की जनता के समक्ष ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे कि नए वाहनों पर कोई डिवाइस लगकर आएगी क्‍या, पुराने वाहन चालकों को डिवाइस लगवानी होगी क्‍या, इसे कौन लगवाएगा, सरकार या स्‍वंय, कितने का आएगा, इस तरह के तमाम सवालों के जवाब इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर एक्‍सपर्ट दे रहे हैं, आइए जानें.
इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर एक्‍सपर्ट वैभव डांगे ने बताया कि आटोमेटिक टोल प्रणाली का सफल पायलट प्रोजेक्‍ट दिल्‍ली-मुंबई एक्‍सप्रेसवे पर हो चुका है. इसके लिए पूरे नेशनल हाईवे की जिओ फेंसिंग कराई जाएगी. इसके साथ ही वाहनों में एक छोटा सा ऑन बोर्ड डिवाइस लगाया जाएगा. जो सेटेलाइट के जरिए कनेक्‍ट रहेगा.

नए वाहनों में लगा कर आ सकती है डिवाइस

नए वाहनों में यह डिवाइस लगकर आ सकता है, यह सरकार की पोलिसी से तय होगा और पुराने वाहनों में लगवाना पड़ सकता है. उन्‍होंने बताया कि इसकी कीमत केवल 250-400 रुपये से अधिक होने की संभावना नहीं है. उनका मानना है कि सरकार इस ऑन बोर्ड डिवाइस को फास्‍टैग की तरह फ्री भी दे सकती है. क्‍योंकि डिवाइस के लगने के बाद तीन वर्ष में टोल टैक्‍स कलेक्‍शन दोगुना तक पहुंच सकता है.

राजस्व में होगी बढ़ोतरी


देशभर में मौजूदा समय करीब 1.5 लाख किमी. लंबा हाईवे है. इसमें करीब 90 हजार किमी.नेशनल हाईवे के पास है. इसी हार्हवे में आटोमेटिक टोल प्रणाली लागू करने की तैयारी है. क्‍योंकि 90 हजार किमी. में हाईवे में करीब 25 हजार में टोल नहीं लगता है. डिवाइस लगने के बाद पूरे हाईवे से टोल वसूला जा सकेगा. इससे राजस्‍व की बढ़ोत्‍तरी होगी.

भुगतान के लिए कई होंगे विकल्प


उनका कहना है कि सेटेलाइट आधरित टोल प्रणाली लागू होने के बाद लोगों के पास भुगतान करने के कई विकल्‍प होंगे. जैसे अभी फास्‍टैग पेटीएम या बैंक अकाउंट से लिंक है. उसी तरह नई प्रणाली लागू होने के बाद लोगों के पास भुगतान के कई विकल्‍प होंगे, वे चाहें तो बैंक अकाउंट से या अन्‍य डिजीटल माध्‍यम से भुगतान कर सकेंगे।