🔴 हिंदू-मुस्लिम एकता का है प्रतीक
सीजी न्यूज ऑनलाइन 05 सितंबर। महाराष्ट्र के गोटखिंडी गांव में 1980 से अनोखा गणेश उत्सव मनाया जाता है, जिसमें मस्जिद में गणेश मूर्ति की स्थापित होती है. मुस्लिम भी पूजा और तैयारी में सक्रिय भाग लेते हैं.
महाराष्ट्र के एक गांव में चार दशक से अधिक समय से एक अनोखा गणेश उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें एक मस्जिद में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाती है. स्थानीय गणेश मंडल के संस्थापक अशोक पाटिल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अन्यत्र धार्मिक तनाव का सांगली जिले के गोटखिंडी गांव के निवासियों पर कभी असर नहीं पड़ा है.
उन्होंने बताया कि इस गांव की आबादी करीब 15,000 है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के 100 परिवार शामिल हैं. मुसलमान भी इस मंडल के सदस्य हैं. वे ‘प्रसाद’ बनाने, पूजा अर्चना करने और उत्सव की तैयारियों में मदद करते हैं.
1980 में शुरू हुई थी परंपरा
पाटिल ने बताया कि यह परंपरा 1980 में शुरू हुई थी, जब भारी बारिश के कारण हिंदू और मुस्लिम समुदायों के सदस्यों ने सांगली जिले के गोटखिंडी गांव में एक मस्जिद के अंदर गणपति की मूर्ति को ले जाने का फैसला किया था.
पाटिल ने कहा कि तब से यह परंपरा शांतिपूर्वक जारी है और इसमें मुस्लिम समुदाय की सक्रिय भागीदारी है. गांव के झुंझार चौक पर ‘न्यू गणेश तरुण मंडल’ की स्थापना 1980 में हुई थी. मूर्ति को 10 दिन के उत्सव के लिए मस्जिद में रखा जाता है और फिर अनंत चतुर्दशी के दिन उत्सव के समापन पर स्थानीय जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है.
गणेश चतुर्थी पर मुसलमानों ने कुर्बानी से किया परहेज
पाटिल ने बताया कि एक बार बकरीद और गणेश चतुर्थी की तारीखें एक साथ पड़ीं, तो मुसलमानों ने अपना त्योहार केवल नमाज अदा करके और ‘कुर्बानी’ न देकर मनाया था. उन्होंने कहा कि वे हिंदू त्योहारों के दौरान भी मांस खाने से परहेज करते हैं.
उन्होंने कहा कि पूरे देश को यहां के सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के वातावरण से प्रेरणा लेनी चाहिए. पाटिल ने बताया कि हर साल गणेश मूर्ति की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए स्थानीय पुलिस और तहसीलदार को आमंत्रित किया जाता है. इस साल 10 दिवसीय गणपति उत्सव 27 अगस्त से शुरू हुआ.