सेंट्रल जेल में चल रहा जुआ सट्टा एवं नशे का खेल : हाई कोर्ट ने डीजी जेल से मांगा शपथ पत्र, 18 कैदियों ने चीफ जस्टिस को लिखा था पत्र

सेंट्रल जेल में चल रहा जुआ सट्टा एवं नशे का खेल : हाई कोर्ट ने डीजी जेल से मांगा शपथ पत्र, 18 कैदियों ने चीफ जस्टिस को लिखा था पत्र


सीजी न्यूज ऑनलाइन, 22 अक्टूबर। सेंट्रल जेल में चल रहे जुआ, सट्टा और नशे की गतिविधियों को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सख्त कदम उठाते हुए मामले का संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने जेल के हालात पर डीजी जेल से शपथ पत्र मांगा है।

जेल में कैदियों और बंदियों के परिजनों द्वारा की गई शिकायतों में बताया गया है कि अफसरों की मिलीभगत से जेल के भीतर जुआ और सट्टा चलाया जा रहा है। साथ ही, गांजा, तंबाकू और बीड़ी जैसे नशीले पदार्थ आसानी से उपलब्ध कराए जा रहे हैं, हालांकि इन सामानों के लिए कैदियों से कई गुना ज्यादा कीमत वसूली जाती है।
जेल में बंद 18 कैदियों के परिजनों ने चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी, चक्कर नंबरदार अनिल सिंह और मुख्य जेल प्रहरी आलोक खरे पर कैदियों को परेशान करने और उनसे अवैध वसूली करने के आरोप लगाए थे। परिजनों का कहना है कि अपहरण के आरोपी अनिल सिंह को नियमों के खिलाफ चक्कर नंबरदार बनाया गया है, और वह अफसरों से मिलकर जेल में जुआ, सट्टा, गांजा, बीड़ी और तंबाकू बेचने का काम कर रहा है।

परिजनों ने जेल में परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। उनका आरोप है कि कैदियों से 3500 रुपये महीना वसूला जाता है ताकि उन्हें बेहतर खाना मिल सके। इस संबंध में जेल प्रहरी आलोक खरे, जिन्हें ‘बाबा’ के नाम से जाना जाता है, से मिलने की सलाह दी जाती है।

परिजनों ने आरोप लगाया है कि जेल में गांजा, बीड़ी और तंबाकू ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। एक पुड़िया गांजा 500 रुपये, बीड़ी 200 रुपये और तंबाकू 100 रुपये में बेची जाती है। साथ ही, प्रतिबंधित नशीली दवा नइट्टा की एक गोली 100 रुपये में दी जाती है।

जेल में चल रही इन अवैध गतिविधियों की शिकायत मिलने पर कलेक्टर अवनीश शरण और एसपी रजनेश सिंह ने जेल का दौरा किया था। हालांकि, उन्होंने बैरकों की जांच के बाद कुछ भी संदिग्ध नहीं पाया। बाद में उन्होंने मीडिया को जानकारी दी कि जेल में हालात सामान्य हैं।

हाई कोर्ट ने अब डीजी जेल से इस मामले पर विस्तृत शपथ पत्र मांगा है, जिससे जेल के भीतर चल रही अवैध गतिविधियों की सच्चाई सामने आ सके।