पूर्व संसदीय सचिव लाभचंद बाफना की एमबीए कर रही भतीजी मुमुक्षु रोशनी लेगी भगवती दीक्षा ,स्कुल में साध्वी से प्रभावित थी, उसी प्रेरणा से बदला मन

पूर्व संसदीय सचिव लाभचंद बाफना की एमबीए कर रही भतीजी मुमुक्षु रोशनी लेगी भगवती दीक्षा ,स्कुल में साध्वी से प्रभावित थी,  उसी प्रेरणा से बदला मन


पूर्व संसदीय सचिव लाभचंद बाफना की एमबीए कर रही भतीजी मुमुक्षु रोशनी लेगी भगवती दीक्षा ,स्कुल में साध्वी से प्रभावित थी,  उसी प्रेरणा से बदला मन

बेमेतरा, 15 सितंबर। साजा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं संसदीय सचिव लाभचंद बाफना की भतीजी 26 वर्षीय रोशनी बाफना ने भगवती दीक्षा ले वैराग्य की ओर चलने का निर्णय लिया है। एमबीए कर रही रोशनी अपने इस निर्णय के बाद आचार्य रामलाल जी मसा से 28 अक्टूबर को ब्यावर राजस्थान में भगवती दीक्षा लेगी। इसकी घोषणा रविवार को ब्यावर से ही हुई है। 

बताया जा रहा है कि मुमुक्षु रोशनी को वैराग्य की प्रेरणा 2011 में स्कूल के दिनों से ही मिल चुकी थी। फिर धीरे-धीरे उनके सामने अनेक परिस्थितियाँ आईं, जिससे  उनका संकल्प और भी दृढ़ होता गया। ग्रेजुएशन के बाद एमबीए की तैयारी में जुटी मुमुक्षु रोशनी नेट की परीक्षा क्लियर कर बेंगलुरु में प्रवेश तक ले चुकी है फिर अचानक उसने निर्णय लेते हुए भगवती दीक्षा की इच्छा जताई और परिजनों की अनुमति बाद अब वे दीक्षा की ओर बढ़ चली हैं।

रोशनी ने बताया कि वर्ष 2011 में जब वो कक्षा ग्यारहवीं में थीं तब अहिवारा में चातुर्मास के दौरान साध्वी कल्याण कंवर मसा का सानिंध्य मिला, उनसे धर्म ध्यान की बातें सीखीं। उन्हें लगा कि सचमुच संसार से कोई कुछ लेकर नहीं जाता। यदि संयम पद पर जाती हूं तो उस अवस्था तक पहुँच सकती हूं कि मुझे मोक्ष मिले। उसी समय से रोशनी वैराग्य का संकल्प ले चुकी थी फिर 2013 तक उनकी दादी स्व. पतंग देवी बाफना जो कि 31 वर्षों से एकांतर वर्षी तप कर रही थीं, उनके सानिध्य में धर्म की ओर झुकाव और ज्यादा बढ़ा। 2017 में उनके पिता को हार्ट अटैक आया तो रोशनी ने सोचा कि उनके लिए कुछ करना है और वो एमबीए की तैयारी में जुट गईं फिर उन्हें साधु भगवंतों से शिक्षा मिली कि संसार में हर वस्तु नश्वर है। हम चाहें भी तो  इसे नहीं रोक सकते, तब उन्होंने निश्चय किया कि उन्हें संयम पथ पर ही आगे बढ़ना है। वैराग्य जीवन में प्रवेश के लिए नियम संयम की परीक्षा भी मुमुक्षु रोशनी ने दी है। जनवरी 2021 में बीकानेर गुरुकुल पहुंचकर पांच माह बिताये और वहीं पर तय हो गया कि अब उनकी दीक्षा का समय आ गया है। मुमुक्षु रोशनी, चंचल बाफना, रेखा बाफना की पुत्री एवं स्व. पारसमल बाफना की पौत्री हैं।