सीजी न्यूज ऑनलाइन, 18 जनवरी। शराब घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड भी लपेटे में आ गए हैं। ईडी ने बुधवार को रिमांड आवेदन पेश किया था, उसमें पूर्व सीएस को घोटाले का सरगना करार दिया था। साथ ही कोर्ट में यह भी कहा था कि ढांड को पैसे मिलते थे। ईडी ने यह रिमांड आवेदन पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को अपने सुपुर्द में लेने के लिए पेश किया था।
ईडी पूर्व आबकारी मंत्री लखमा को रिमांड में लेकर पूछताछ कर रही है। ईडी की रिमांड याचिका में कई नये तथ्यों का खुलासा हुआ है। आबकारी घोटाले में ईडी ने पहली बार पूर्व सीएस विवेक ढांड का जिक्र किया है।
ईडी ने कोर्ट में बताया कि आबकारी कारोबार का सिंडिकेट चल रहा था। इसके नेतृत्वकर्ता अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, और अनिल टुटेजा अगुवाई कर रहे थे। और इसके सरगना रिटायर्ड एसीएस विवेक ढांड थे। वो इसके लाभार्थी रहे हैं। इसके बाद पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड की मुश्किलें बढ़ सकती है। ईडी इस प्रकरण पर ढांड से भी पूछताछ करेगी। उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएस के यहां इनकम टैक्स ने छापेमारी की थी।
इससे पहले ईडी ने अदालत में दी अपनी रिमांड याचिका में दावा किया है कि कवासी लखमा अपने विभाग में अनियमितताओं से अच्छी तरह वाकिफ थे, फिर भी उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया क्योंकि वह अपनी भूमिका के लिए अपराध की बड़ी मात्रा में आय अर्जित कर रहे थे।
विशेष अदालत के समक्ष ईडी के वकील डॉ. सौरभ पाण्डेय ने रिमांड याचिका में कहा कि यह इस तथ्य से पुष्ट होता है कि उनके अधिकारियों के गलत कामों को कवासी लखमा ने भी स्वीकार किया था जिन्होंने 3 जनवरी 2025 को अपने बयान के दौरान दावा किया था कि उनके अधिकारी अर्थात् अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास, उनका फायदा उठाते थे और आबकारी से संबंधित दस्तावेजों पर हस्ताक्षर लेते थे।
ईडी का कहना था कि कवासी लखमा ने प्रासंगिक जानकारी को रोककर जांच में सहयोग नहीं किया है जो उनके विशेष ज्ञान में है। उन्हें पूरी सच्चाई को उजागर करने के लिए पर्याप्त अवसर दिए गए हैं। उन्होंने जानबूझकर या तो प्रश्नों से बचकर या भ्रामक और टालमटोल वाले उत्तर देकर असहयोग का रवैया अपनाया है।
ईडी ने यह भी बताया कि शराब सिंडिकेट द्वारा साजिश रची गई थी कि विदेशी शराब के लैंडिंग मूल्य (निर्माता को भुगतान की जाने वाली कीमत) में वृद्धि की जाएगी, लेकिन निर्माताओं को इस वृद्धि से कोई लाभ नहीं हुआ, कीमत में इस वृद्धि को एफएल-आयन लाइसेंसधारी द्वारा विनियोजित किया जाएगा। जो इस अतिरिक्त राशि को समाप्त करेगा और सिंडिकेट को रिश्वत देगा। इस व्यवस्था के अनुसार, विदेशी शराब अब निजी थोक विक्रेताओं के माध्यम से बेची जाएगी और लाइसेंसधारी पिछले से 10 प्रतिशत का बढ़ा हुआ हिस्सा रखेगा। निर्माता थोक विक्रेताओं को पिछले वर्ष की लैंडिंग कीमत पर भुगतान करेंगे और सीएसएमसीएल को इन थोक विक्रेताओं द्वारा बढ़ी हुई दर पर बिल दिया जाएगा। ये लाइसेंस फिर से अनवर ढेबर के तीन चुने हुए सहयोगियों को दिए गए थे। इन लाइसेंस धारकों को कलेक्टर या मध्यस्थ के रूप में कार्य करना था और विदेशी शराब खरीदना था और फिर छत्तीसगढ़ सरकार के गोदामों को बेचना था और यहां तक कि विदेशी शराब पर भी लगभग 10 फीसदी कमीशन उत्पन्न करना था।