फर्जी एफआईआर. केस में एसीबी के पूर्व अफसरों के खिलाफ जारी रहेगी जांच – हाई कोर्ट, मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह सहित कई अफसरों पर है कूटरचना दस्तावेज तैयार करने का आरोप

<em>फर्जी एफआईआर. केस में एसीबी के पूर्व अफसरों के खिलाफ जारी रहेगी जांच – हाई कोर्ट, मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह सहित कई अफसरों पर है कूटरचना दस्तावेज तैयार करने का आरोप</em>


बिलासपुर, 10 मई | छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जल संसाधन विभाग के ठेकेदार पवन अग्रवाल और कार्यपालन यंत्री आलोक कुमार अग्रवाल से संबंधित फर्जी एफआईआर मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो के तत्कालीन चीफ मुकेश गुप्ता, एसपी रजनीश सिंह, अरविंद कुजूर, डीएसपी अशोक जोशी सहित अन्य अफसरों के खिलाफ जांच जारी रखने का आदेश दिया है।

सीजेएम कोर्ट में पवन कुमार अग्रवाल ने अपने आवेदन में बताया कि उपरोक्त टेंडर्स में उन्होंने कभी भाग लिया ना उन्हें कोई निविदा आवंटित की गई। दूसरी तरफ एसीबी के अधिकारियों ने सन् 2014 की जिस एफआईआर के आधार पर उसके विरुद्ध फिर से कार्रवाई शुरू की, वैसी कोई भी एफआईआर एसीबी मुख्यालय के रिकॉर्ड में नहीं थी । उनके विरुद्ध फर्जी और कूट रचित एफआईआर तैयार करके कार्रवाई की जा रही थी। सीजेएम कोर्ट ने 24 दिसंबर 2019 को इस मामले की सुनवाई कर सिविल लाइन बिलासपुर पुलिस को निर्देश दिया था कि प्रकरण में अपराध दर्ज कर जांच करे। न्यायालय के आदेश पर सिविल लाइन थाने में कूट रचना करने वाले अज्ञात अधिकारियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120 बी 420, 467, 468, 471, 472, 213, 218, 166, 167, 382 और 380 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की।
इस जांच को निलंबित पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह और अन्य अधिकारियों ने चुनौती दी थी। इसके बाद सिविल लाइन पुलिस की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने स्थगन दे दिया था। हाईकोर्ट में अब इस प्रकरण की आगे सुनवाई हुई। सुनवाई के पश्चात स्थगन हटाते हुए हाई कोर्ट ने एसीबी के संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध जांच जारी रखने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि चार साल पहले ठेकेदार पवन अग्रवाल ने इन अफसरों के खिलाफ बिलासपुर के सीजीएम कोर्ट में एक परिवाद दायर किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि एसीबी के इन अधिकारियों ने दस्तावेजों में कूट रचना की और कंप्यूटर से उसके विरुद्ध फर्जी एफआईआर की प्रिंट निकाली। इस फर्जी एफआईआर में उनके विरुद्ध अपराध दर्ज किया गया था कि उन्होंने बिलासपुर खारंग संभाग के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता और भाई आलोक कुमार अग्रवाल तथा अन्य अधिकारियों के साथ 15 टेंडर्स में करोड़ों रुपयों की गड़बड़ी की। सन् 2014-15 में भी इस संबंध में एक गुमनाम शिकायत इसी मामले को लेकर एसीबी से की जा चुकी थी। इसकी जांच विभागीय स्तर पर ही नहीं बल्कि एसीबी ने भी की थी। दिसंबर 2018 में उनके विरुद्ध उपरोक्त प्रकरण में तथ्य नहीं मिलने पर खात्मा रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया गया था।