ईस्ट इंडिया कंपनी-जिसने कभी भारत पर किया था राज, उसे भारतीय बिज़नेसमैन ने 20 मिनट में ख़रीद डाला

ईस्ट इंडिया कंपनी-जिसने कभी भारत पर किया था राज, उसे भारतीय बिज़नेसमैन ने 20 मिनट में ख़रीद डाला


ईस्ट इंडिया कंपनी-जिसने कभी भारत पर किया था राज, उसे भारतीय बिज़नेसमैन ने 20 मिनट में ख़रीद डाला

सीजी न्यूज आनलाईन, 23 अगस्त। लंदन में The East India Company के 2 नए स्टोर खुल चुके हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से तो हम सभी वाक़िफ़ ही हैं। वही कंपनी जिसने भारत में क़रीब 200 सालों तक राज किया। इस दौरान करोड़ों भारतीयों को सालों तक ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के ग़लत फ़ैसलों का शिकार होना पड़ा। अपने ही देश में हमें अंग्रेज़ों के ज़ुल्म सहने पड़े, लेकिन देश के क्रांतिकारियों को ये क़तई मंज़ूर न था, इसलिए 1857 में देश के जांबाज़ क्रांतिकारियों ने आज़ादी की लड़ाई का बिगुल बजाया था।

भारतीयों पर सालों तक राज करने वाली ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ की कमान आज एक भारतीय के हाथों में आ चुकी है। आज़ादी से पहले जिस कंपनी की वजह से बेगुनाह भारतीयों को दर्द झेलने पड़े, आज वक्त का चक्का कुछ ऐसा चला कि एक भारतीय बिज़नेसमैन ने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को ख़रीद अंग्रेज़ों को गहरा ज़ख्म देने का काम किया है। इस भारतीय बिज़नेसमैन का नाम संजीव मेहता है।

तो चलिए जानते हैं कि आख़िर बिज़नेसमैन संजीव मेहता ने इस ऐतिहासिक डील को कैसे अंजाम दिया?

संजीव मेहता की इस ऐतिहासिक डील के बारे में जानने से पहले ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ का इतिहास जान लेते हैं। इसकी शुरुआत सन 1600 ईसवी में हुई थी, इस दौरान किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन ये कंपनी पूरी दुनिया पर राज करेगी। ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने दुनिया के अन्य देशों से माल लेकर उसे समंदर के ज़रिए ब्रिटेन तक लाने से शुरुआत की थी। 17वीं सदी में ही ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने व्यापार के मक़सद से भारत में अपने क़दम रखे। इस दौरान भारत से चाय, मसाले व कई अन्य चीज़ें जो यूरोपीय देशों में मौजूद नहीं उनका निर्यात करना शुरू किया। ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने देखते ही देखते कब दुनिया भर के 50% ट्रेड पर अपना कब्ज़ा कर लिया पता ही नहीं चला। इस दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के ज़रिए इतनी दौलत कमाई कि उसने कई देशों पर कब्ज़ा कर लिया, इनमें भारत भी शामिल था। क़रीब 200 सालों तक ये कंपनी भारतीयों पर अधिकार जमाती रही, लेकिन 1857 की क्रांति ने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ की नींव हिला डाली थी। सन 1947 में भारत में ब्रिटिश शासन के अंत के साथ ही ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के पतन की शुरुआत भी हो गई थी। भारत से जाने के कुछ साल बाद कंपनी की आर्थिक हालत बेहद ख़राब होने लगी। इस दौरान ब्रिटिश सरकार ने भी इसकी मदद करने से इंकार कर दिया था. ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ का नाम दुनिया भर में प्रसिद्ध था, इसलिए ब्रिटिश सरकार ने इसे पूरी तरह से बंद नहीं होने दिया।

बात साल 2003 की है, जब भारतीय बिज़नेसमैन संजीव मेहता को पता चला कि दुनिया पर राज करने वाली ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ की आर्थिक हालत बेहद ख़राब है तो उन्होंने इसके ऑफ़िस जाने का फ़ैसला किया। इस दौरान संजीव ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के ऑफ़िस इसी सोच के साथ गए थे कि वो इसे ख़रीदकर ही लौटेंगे। ये एक तरह से उनकी तरफ़ से करोड़ों भारतीयों को एक तोहफ़ा था। संजीव का कहना था कि ईस्ट इंडिया कंपनी के ऑफ़िस में मुझे महज़ 20 मिनट हुए थे, इस दौरान मैं पहले 10 मिनट में ही समझ गया था कि कंपनी की आर्थिक हालत बेहद ख़राब है, वो इसे बेचने की उम्मीद में ही थे। बातचीत के बीच मैंने टेबल पर पड़े एक नैपकिन पेपर को उठाया और उस पर एक दाम लिख दिया। ये दाम देखते ही ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के मालिकों ने 21% शेयर बेचने का फ़ैसला कर लिया, महज़ 20 मिनट में ही कंपनी का एक बड़ा हिस्सा बिक गया। संजीव ने क़रीब 15 मिलियन डॉलर (1,11 करोड़ रुपये) की इन्वेस्टमेंट से ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को ख़रीद लिया था। 1 साल के अंदर संजीव ने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के बाकी 38% स्टेक होल्डर से उनके शेयर भी ख़रीद लिए और कंपनी पर पूरी तरह से अपना अधिकार जमा लिया। 

‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ ख़रीदने के बाद भी संजीव ने इसे कई साल तक लांच नहीं किया, इसके बाद भारतीय बिज़नेसमैन आनंद महिंद्रा ने भी संजीव की ‘द ईस्ट इंडिया कंपनी’ में एक बड़ी इन्वेस्टमेंट की।

द ईस्ट इंडिया कंपनी अब चाय, नमक, चीनी, मसाले और रेशम नहीं, बल्कि लक्ज़री आइटम्स में डील करेगी। लंदन में इसके 2 नए स्टोर खुल चुके हैं, अब जल्द ही भारत में भी एक स्टोर खुलने जा रहा है। इस स्टोर में कपड़े, खाने-पीने की चीज़ों से लेकर फ़र्नीचर समेत घरों इस्तेमाल होने वाले आइटम्स मिलेंगे। ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा जब हम भारत में एक बार फिर से ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को देखेंगे, लेकिन इस बार मालिक अंग्रेज़ नहीं, बल्कि एक भारतीय होगा।

भारत पर राज करने वाली ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ पर अब हम भारतीय राज करेंगे, ये किसी सपने के पूरे होने से कम नहीं है।

(Source – History, Gulfnews, National Geographic, The Guardians)