🔴 सक्षम न्यायालय में जाने की दी सलाह
दुर्ग, 30 जुलाई। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले में गिरफ्तार नन और एक आरोपी के जामनत आवेदन पर दुर्ग कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। आज एडीजे दुर्ग की अदालत में यह मामला आया था। न्यायाधीश ने कहा कि, ये मामला उनके क्षेत्राधिकार से बाहर का है, इसलिए सक्षम न्यायालय में इसे लेकर आवेदन दाखिल करना चाहिए।
आपको बता दें कि 25 जुलाई को तीनों ही आरोपियों की जमानत के लिए आवेदन दिया गया था जिस पर प्रथम सत्र न्यायाधीश ने सुनवाई करते हुए 8 अगस्त तक उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था। आज पुणे सनी के लिए डीजे दुर्ग की अदालत में इस मामले में सुनवाई शुरू हुई थी।
दरअसल, धर्मांतरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले में गिरफ्तार तीन आरोपियों की जमानत को लेकर याचिका दुर्ग कोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर जज ने सुनवाई करने से इंकार करते हुए कहा कि, यह हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं है। अब NIA की विशेष कोर्ट में इसकी सुनवाई के लिए आवेदन दायर करना होगा।
न्यायालय के निर्देश की जानकारी देते हुए जिलाअधिवक्ता संघ के सचिव रवि शंकर सिंह ने बताया कि, ये मामला धर्मांतरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का है, जो उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता है, इसके लिए सक्षम न्यायालय NIA कोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि, प्रकरण को वापस ले , नहीं तो जमानत आवेदन को निरस्त करना होगा। इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता अगर हाईकोर्ट में याचिका दायर करना चाहते हैं, तो भी उन्हें पहले विशेष अदालत NIA कोर्ट में अपनी याचिका दायर करनी होगी।
क्या है यह पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर शासकीय रेलवे पुलिस ने प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के साथ सुकमन मंडावी नाम के शख्स को 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी बजरंग दल दुर्ग के संयोजक रवि निगम की शिकायत पर से की गई थी
जीआरपी के द्वारा दोनों ननों पर नारायणपुर की युवतियों को नौकरी के बहाने धर्मांतरण करने एवं ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामला दर्ज है। इस मामले में जांच जारी है और पुलिस सभी पहलुओं की गहन पड़ताल कर रही है। स्थानीय लोगों और प्रशासन का कहना है कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और मानव तस्करी जैसे मुद्दों पर सख्ती बरती जाएगी। यह विवाद तब और गहरा गया, जब सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर पक्ष-विपक्ष में बहस शुरू हो गई थी।