सीजी न्यूज ऑनलाइन 05 जून। Fighter Jet News: भारतीय वायुसेना लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है. एचएएल की असमर्थता के चलते भारत विदेशी विकल्पों पर विचार कर रहा है. लॉकहीड मार्टिन ने एफ-21 का प्रस्ताव दिया है, जो एफ-16 का उन्नत संस्करण है.
इंडियन एयरफोर्स लड़ाकू विमानों की भारी कमी से जूझ रही है. इसको लेकर सेना के शीर्ष नेतृत्व ने सार्वजनिक रूप से अपनी चिंता जाहिर की है. चीन और पाकिस्तान दो मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहे भारत के सामने सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यही है कि इस कमी को कैसे दूर किया जाए. भारत विदेश कंपनियों से फाइटर जेट खरीदना नहीं चाहता है. लेकिन, दूसरी तरफ देसी कंपनी यानी एचएएल एयरफोर्स की जरूरत पूरा करने में अभी तक सक्षम साबित नहीं हुई है. वह करीब 40 साल से तेजस फाइटर जेट बना रही है। लेकिन अब तक वह 40 फाइटर जेट्स की डिलिवरी नहीं कर पाई है.
भारत की परेशानी
अगर भारत विदेश से लड़ाकू विमान खरीदता है तो उसके सामने तीन ऑप्शन रूस, फ्रांस और अमेरिका हैं. रूस अपना 5th जेन फाइटर सुखोई-57 भारत को देना चाहता है जबकि अमेरिका अपना एफ-35 भारत को देने की बात कह चुका है. भारत फ्रांस से राफेल खरीद का दो स्क्वायड्रन खरीद चुका है. उसके पास ऐसे और विमान खरीदने का विकल्प है. लेकिन, भारत के लिए कोई भी सौदा उचित नहीं मालूम पड़ता है. क्योंकि इसमें एक बहुत अधिक पैसे खर्च होते हैं, दूसरी तरह तकनीकी रूप से इन विमानों पर उसे फुल कंट्रोल नहीं मिलता. सोर्स कोड और विमानों को अपग्रेड करने को लेकर भविष्य में विवाद की आशंका रहती है. इसके साथ ही रूसी सुखोई-57 के परफॉर्मेंस पर सवाल उठते रहे हैं. वहीं अमेरिकी एफ-35 बहुत ही ज्यादा महंगा है. साथ ही उसके भी परफॉर्मेंस पर सवाल उठते रहे हैं. राफेल 4.5 जेनरेशन के विमान हैं और ये भी काफी महंगे हैं.

अमेरिकी स्टील्थ फाइटर जेट एफ-35
भारत को एफ-21 का प्रस्ताव
अब सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में भारत क्या करेगा. अमेरिकी लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने भारत के लिए एक और जेट का विकल्प दिया है. लॉकहीड मार्टिन अमेरिका की फाइटर जेट बनाने वाली दिग्गज कंपनी है. इसी ने एफ-35 बनाया. उसके एफ सीरीज के फाइटर जेट दुनिया में दसियों देशों के पास है. इसी कंपनी एफ-16 विमान पाकिस्तान के पास हैं. लॉकहीड मार्टिन ने भारत को एफ-35 के छोटे भाई यानी एफ-21 विमान देने का प्रस्ताव दिया है. कंपनी के सीईओ जिम टैक्लेट ने कहा है कि भारत एफ-35 की जगह एफ-21 खरीद सकता है. इस विमान को भारत की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है. एफ-21 उसी कंपनी के एफ-16 का उन्नत संस्करण है.
एफ-21 और एफ-35 में अंतर
एफ-21 लॉकहीड मार्टिन का 4.5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जो एफ-16 का उन्नत रूप है. इसे विशेष रूप से भारत की जरूरतों के लिए बनाया गया है और इसे भारत में मेक इन इंडिया के तहत टाटा समूह के साथ मिलकर बनाया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें आधुनिक रडार (AESA), बेहतर कॉकपिट और मिशन कंप्यूटर हैं. यह विमान हवा से हवा और हवा से जमीन मिशनों के लिए उपयुक्त हैं. इसकी कीमत करीब 100 मिलियन डॉलर ( करीब 850 करोड़ रुपये) प्रति जेट है. इसमें भारत की जरूरतों के हिसाब से और बदलाव किए जाते हैं तो कीमत बढ़ सकती है. दूसरी ओर एफ-35 एक 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट है. इसमें रडार से बचने की क्षमता, उन्नत सेंसर और डेटा शेयरिंग की तकनीक है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक इसकी कीमत 110-150 मिलियन डॉलर प्रति जेट है.
अमेरिका की रणनीति में बदलाव

सुखोई 57 रूस का पांचवी पीढ़ी का विमान
अमेरिका पहले एफ-35 को भारत और सऊदी अरब जैसे टियर-2 सहयोगी देशों को देने में हिचकिचाता था. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा इसलिए था क्योंकि अमेरिका को डर था कि इसकी संवेदनशील तकनीक चीन या रूस जैसे देशों के हाथ लग सकती है. साथ ही इजरायल के साथ एक समझौता है कि मध्य पूर्व में उसे सबसे उन्नत हथियार मिलेंगे, ताकि उसकी सैन्य श्रेष्ठता बनी रहे. लेकिन अब अमेरिका की रणनीति बदल रही है, क्योंकि रूस का एसयू-57 और चीन का जे-20 जैसे स्टील्थ जेट्स अन्य देशों को बेचे जा रहे हैं.
भारत के लिए मौका
लॉकहीड के सीईओ ने कहा कि भारत अभी एफ-35 के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है, इसलिए वह एफ-21 खरीद सकता है. द हिंदू अखबार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकहीड मार्टिन भारत में एफ-21 का उत्पादन करने को तैयार है. इससे भारतीय उद्योगों को फायदा होगा. ये एफ-21 भारतीय वायु सेना के पुराने मिग-21 और मिग-27 जेट्स को बदलने के लिए किफायती विकल्प हैं.