दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग का विश्वविद्यालय पुस्तकालय हुआ हाईटेक

दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग का विश्वविद्यालय पुस्तकालय हुआ हाईटेक


दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग का विश्वविद्यालय पुस्तकालय हुआ हाईटेक

दुर्ग 29 जुलाई ।  विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा एवं अनुसंधान का स्तर बनाए रखने के लिए पुस्तकालय की स्थापना की है। डॉ. एन.पी. दक्षिणकर  कुलपति दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग ने  पुस्तकालय के संबंध में में पाठकों को दी जाने वाली सुविधाओं पर विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पुस्तकालय किसी भी शिक्षण संस्थान का हृदय स्थल होता है विश्वविद्यालय पुस्तकालय में पाठकों को सभी आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं पुस्तकालय पूर्णतः स्वचालित वा कंप्यूटरीकृत आधुनिक ई-संसाधनों से परिपूर्ण हैं जिसकी सराहना बाहर से आए हुए विषय विशेषज्ञों, अति विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा की गई है। पुस्तकालय में लगभग 20,000 से अधिक पाठ्य/ संदर्भ पुस्तकों के नवीनतम संस्करण उपलब्ध हैं। साथ ही 13000 ई-बुक्स, शोध पत्रिकाएं, सी.डी. रोम डेटाबेस, शोध पत्रिकाओं के पुराने खंड (सन 1965 से अब तक) उपलब्ध है। यह भारतीय अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा सेरा (कंसोर्सियम आफ ई-रिसोर्सेज इन एग्रीकल्चर) के माध्यम से पाठकों को कृषिकोष, ई-लर्निंग पोर्टल, ओपेक ई-शोध पत्रिकाएं, ई-बुक्स, ऑनलाइन थीसिस यूनियन कैटलॉग आदि की सुविधा प्रदान की जा रही हैं । डॉक्यूमेंट डिलीवरी रिक्वेस्ट के माध्यम से देशभर के  कृषि,पशुचिकित्सा, मात्स्यिकी एवं वानिकी महाविद्यालयों के शोधार्थियों को पुस्तकालय में उपलब्ध शोध पत्रिकाओं की सेवाएं दी जा रही है ये  वह शोध आलेख होते हैं जो कहीं अन्यत्र उपलब्ध नहीं है केवल कामधेनु विश्वविद्यालय पुस्तकालय में ही उपलब्ध हैं।

1.5 लाख बहुविकल्पीय प्रश्नों का ऑनलाइन संग्रह उपलब्ध है जो विद्यार्थियों के सीनियर रिसर्च फेलो जूनियर रिसर्च फेलो एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करता है यह ऑनलाइन डाटाबेस  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ऑनलाइन ली जा रही परीक्षा की भी तैयारी में सहायक है । पुस्तकालय में उपलब्ध ई-रिसोर्सेज के उपयोग करने हेतु आधुनिक कम्प्यूटर लैब की स्थापना की गई है इस कम्प्यूटर लैब को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा गया है जिससे हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा दी जा सके साथ ही एक सरवर भी पुस्तकालय में स्थापित किया गया है। पुस्तकालय में कोहा सॉफ्टवेयर एवं आर.एफ.आई.डी. (रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन) तकनीक एकीकृत रूप से संचालित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय पुस्तकालय में कार्यरत श्री संकल्प बहादुर सिंह एवं डॉ.दिलीप चौधरी पुस्तकालयाध्यक्ष द्वारा विकसित मोबाइल एप यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी मोबाइल एप सी.जी.के.वी.के माध्यम से संपूर्ण पुस्तकालयीन सेवाओं का लाभ पाठकों को दिया जा रहा है ।

उपरोक्त एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं। कांटेक्टलेस आर.एफ.आई.डी. (रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन) स्मार्ट कार्ड पुस्तकालय के पाठकों की पूरी जानकारी रखता है। इस कार्ड की मदद से आर.एफ.आई.डी. सिस्टम द्वारा अध्ययन सामग्रियों का आदान प्रदान किया जाएगा । भविष्य में इस कार्ड का उपयोग करते हुए पाठकगण स्वयं ही पुस्तकों का आदान प्रदान कर पाएंगे यह स्मार्ट कार्ड पुस्तकालय की डिजिटाइजेशन एवं ऑटोमेशन की ओर बढ़ते हुए कदमों का प्रतीक है। समय-समय पर पुस्तकालय में उपलब्ध संसाधनों के ज्यादा से ज्यादा पाठकों द्वारा दोहन करने हेतु प्रशिक्षण कार्यशाला वेबीनार आदि का आयोजन किया गया है। पुस्तकालय में सुरक्षा हेतु सी.सी.टी.वी. कैमरा, फायर एक्सटिंग्विशर, आर.एफ.आई.डी. सिक्योरिटी गेट लगाए गए हैं। वाई-फाई इंटरनेट लैन आदि की सुविधाएं भी पाठकों को उपलब्ध है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत निर्माणाधीन मॉडर्न विश्वविद्यालय पुस्तकालय में सोलर पावर ग्रिड 25 केवी की स्थापना की जा रही है।

महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.एस.के. तिवारी ने पुस्तकालय में दी जाने वाली सुविधाओं की सराहना करते हुए कहा कि आज के तकनीकी युग में ई-लर्निंग मैनेजमेंट एवं न्यू लर्निंग मैथेडोलाँजी  प्राध्यापकों/वैज्ञानिकगण तथा छात्र-छात्राओं के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है । ई-संसाधनों के माध्यम से घर बैठे किसी भी विषय से संबंधित जानकारी अर्जित की जा सकती है। पुस्तकालय में कार्यरत पुस्तकालयाध्यक्ष एवं प्रभारी विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण काल में सेरा (कंसोर्सियम आँफ ई-रिसोर्सेज) के माध्यम से पाठकों ने विश्वविद्यालय पुस्तकालय के मोबाइल ऐप से अध्ययन सामग्री ई-बुक्स, ई-जनरल, ई-थीसिस, रिपोर्ट् आदि का पूरा पूरा लाभ लिया है।