शोध हेतु शंकराचार्य मेडिकल कालेज को सौंपा कॉमरेड ए एल दत्ता का पार्थिव शरीर

शोध हेतु शंकराचार्य मेडिकल कालेज को सौंपा कॉमरेड ए एल दत्ता का पार्थिव शरीर


सीजी न्यूज ऑनलाइन 24 फरवरी । भिलाई के माकपा एवं सीटू के वरिष्ठ कॉमरेड ए एल दत्ता का दुःखद निधन 23 फरवरी 2025 को हो गया था । उनकी इच्छा थी कि उनके पार्थिव शरीर को मेडिकल कालेज को शोध हेतु दान कर दिया जाए । उनके इस इच्छा को सम्मान देते हुए परिवारजनों ने शंकराचार्य मेडिकल कालेज, भिलाई को देहदान करने का निर्णय किया I जिसके तहत 24 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे कॉमरेड ए एल दत्ता के पार्थिव देह को, उनके परिवार के सदस्यों, निकट संबंधियों एवं सीटू यूनियन कार्यकर्ताओं माकपा के साथियों की उपस्थिति में ‘प्रणाम’ संस्था के माध्यम से ‘शंकरा मेडिकल कॉलेज’ को चिकित्सा विज्ञान के अध्ययन एवं अध्यापन कार्य हेतु सौंपा गया।

क्या महत्व है देहदान का

मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को मानव शरीर की संरचना से लेकर होने वाली बीमारियां एवं उन बीमारियों के इलाज के संदर्भ में पढ़ाया जाता है इस अध्ययन में एनाटॉमी महत्वपूर्ण विभाग है जिसमें मानव शरीर की संरचना को समझने के लिए प्रारंभिक तौर पर कृत्रिम शरीर का इस्तेमाल किया जाता है एवं कृत्रिम स्केलेटन भी लैब में रहता है जिससे विद्यार्थी शारीरिक बनावट को समझते हैं किंतु कितना भी कृत्रिम शरीर पर अध्ययन कर ले, वास्तविक अर्थात प्राकृतिक शरीर पर अध्ययन बहुत जरूरी होता है इसके लिए उन्हें मृत देह अर्थात पार्थिव शरीर की आवश्यकता होती है

जो इस महत्व को समझते है वे जीवित रहते ही अपने देहदान की घोषणा करते हैं एवं कई लोग फॉर्म भरकर देहदान का सर्टिफिकेट भी तैयार करके रख देते हैं ताकि उनके मृत्यु होने के बाद देहदान करने में किसी तरह की अड़चन न आए कभी-कभी मृत्यु हो जाने के बाद उनके परिजन भी निर्णय करके देहदान करते हैं इसके लिए पूरी आवश्यक वैधानिक प्रक्रिया मेडिकल कॉलेज द्वारा अपनाई जाती है देहदान की घटनाएं समाज के अंदर कई लोगों को प्रेरित करती है कि विज्ञान के शोध एवं डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए देह दान करें

एक देह दान से होता है 20 लाख मरीजों को फायदा

ऐसा माना जाता है कि एक डॉक्टर अपने जीवन काल में कम से कम एक लाख मरीजों का इलाज करता है और दान किए हुए एक पार्थिव शरीर पर डॉक्टरी अध्ययन कर रहे 20 डॉक्टर न केवल शरीर के वास्तविक बनावट को समझ पाते हैं बल्कि शरीर की बारीकियो को समझते हुए इलाज करने के विभिन्न तरीकों को सीखने हैं इस तरह डॉक्टरी सीखने वाले 20 डॉक्टर कम से कम 20 लाख मरीजों को इलाज करने में सक्षम बनते हैं अर्थात दान किए हुए एक देह पर इलाज के पद्धति को सिखाने वाले 20 डॉक्टर अपने जीवन काल में कम से कम 20 लाख मरीजों का इलाज करते हैं इसीलिए कहा जाता है कि शोध कार्य के लिए दान किए हुए एक दान 20 लाख मरीजों को फायदा करता है।

सीटू एवं माकपा के साथी लगातार दे रहे हैं देहदान का संदेश

भिलाई निवासी जनवादी महिला समिति की पुरानी नेत्री श्रीमती इला दत्ता का देहदान 5 मई 2024 को शंकरा मेडिकल कॉलेज में किया गया था 13 जनवरी 2025 को राजाहरा के वरिष्ठ सीटू एवं माकपा नेता कॉमरेड पी ई अंताप्पन का देहदान शंकर मेडिकल कॉलेज में किया गया वही आज 24 फरवरी 2025 को श्रीमती इला दत्ता के पति एवं भिलाई के वरिष्ठ सीटू एवं माकपा नेता कामरेड ए एल दत्ता का देहदान शंकर मेडिकल कॉलेज में कर दिया गया

महान काम है देहदान करना

एसपी डे ने कहा कि हम हमेशा इलाज करवाने के लिए बेहतरीन डॉक्टर की तलाश करते हैं और बेहतरीन से बेहतरीन डॉक्टर को तैयार करने के लिए आवश्यक अध्ययन सामग्री की आवश्यकता होती है उसमें उपकरणों के साथ-साथ मानव देह अर्थात पार्थिव शरीर महत्वपूर्ण हिस्सा है इसीलिए देहदान करने के लिए लोगों को स्वयं से प्रेरित होना चाहिए ताकि विज्ञान एवं चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नए-नए शोध को और ज्यादा आगे बढ़ाया जा सके।