Chhattisgarh Sarva Adivasi Samaj organized a chakka jam in Patel Chowk for the demand of 32% tribal reservation, angry women surrounded the police vehicle, both sides
दुर्ग 15 नवंबर । 32% आदिवासी आरक्षण के समर्थन में छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार द्वारा हाईकोर्ट में सही तथ्य प्रस्तुत नहीं करने के खिलाफ आज छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के द्वारा पटेल चौक दुर्ग में आधा घंटे तक चक्का जाम किया गया। समाज के द्वारा राष्ट्रपति के नाम पर 5 सूत्रीय ज्ञापन नायब तहसीलदार सत्येंद्र शुक्ला को सौंपा गया। सर्व आदिवासी समाज के युवा कार्यकर्ता को पुलिस द्वारा पुलिस वाहन में बैठा जाने पर महिलाओं के द्वारा पुलिस वाहन को घेर लिया गया अंततः पुलिस को कार्यकर्ताओं को छोड़ना पड़ा।
सर्व आदिवासी समाज की जिला अध्यक्ष श्रीमती तामेश्वरी ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाईकोर्ट के फैसले से आदिवासी समाज के 32% आरक्षण खत्म हो गया। इस फैसले से प्रदेश में शैक्षणिक (मेडिकल, इंजिनियरिंग, लॉ, उच्च शिक्षा) एवं नए भर्तियों में आदिवासयों को बहुत नुकसान हो जाएगा। राज्य बनने के साथ ही 2001 से आदिवासियों को 32% आरक्षण मिलना था। परंतु नहीं मिला।

केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के व्दारा जारी 5 जुलाई 2005 के निर्देश जनसंख्या अनुरूप आदिवासी 32%, एससी 12% और ओबीसी के लिए 6% और C और d पदों के लिए जारी किया गया था। छत्तीसगढ़ शासन को बाराबार आवेदन निवेदन और आंदोलन के बाद आरक्षण अध्यादेश 2012 के अनुसार आदिवासियों को 32 % एस सी %12 एवं ओबीसी को 14% दिया गया, अध्यादेश को हाईकोर्ट में अपील किया गया । छत्तीसगढ़ शासन व्दारा सही तथ्य नहीं रखने से हाईकोर्ट ने आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य कर दिया।

अभी की छत्तीसगढ़ शासन व्दारा कोई ठोस पहल आदिवासियों के लिए नहीं किया गया। इसके विपरित छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सभी भर्तियाँ एवं शैक्षणिक संस्थाओं में आदिवासियों के लिए दुर्भावनापूर्ण आदेश जारी करने लगा। छत्तीसगढ़ में 60% क्षेत्रफल पांचवी अनुसूची के तहत अधिसूचित है, जहा प्रशासन और नियंत्रण अलग होगा। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जनसंख्या 70% से लेकर 90% से ज्यादा है और बहुत से ग्रामों में 100% आदिवासियों की जनसंख्या है। अनुसूचित क्षेत्रो में ही पूरी संपदा (वन, खनिज और बौदधिक) है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज शैक्षणिक, आर्थिक, सामिजिक एवं रजनीतिक रूप से पिछडा हुआ है। सर्वधिनिक प्रावधान के बाद भी आदिवासी बहुल्य पिछडे प्रदेश में आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करना प्रशासन की विफलता और षड्यंत्र है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए आवेदन के साथ लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए समाज बाध्य होगा। साथ ही आदिवासी समाज की आवश्यक मांगे-

• पेशा कानून नियम में ग्राम सभा का अधिकार कम न किया जाये ।
बस्तर एवं सरगुजा में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की भर्ती 100 प्रतिशत स्थानीय किया जाये ।
केंद्र के द्वारा वन अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को लागू न किया जाये ।
• हसदेव आरण्य क्षेत्र में आदिवासी एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु कोल खनन बंद किया जाये ।

प्रदेश उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज तामेश्वरी ठाकुर, शांति वालेखर, सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग अजय ठाकुर, तामेश्वरी ठाकुर अध्यक्ष जंगो लिंगो आदिवासी महिला समिति, जिलाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाव अविनाश कांत मरकाम,श्रीमति चन्द्रिका भवत्, श्रीमति सुलोचना लारेन्द्र श्रीमति चम्पी ठाकुर, जमुना रेकास, सुखावती तारम, शांति वालेश्वर, गीतांजली, महेन्द्र कुमार धुन, मनहरण सिंह ठाकूर चन्द्रकिरण सूर्यवंशी मीना उइके, गौरी भरकाम सावित्री सोरी, लता मंडावी सहित अनेक कार्यकर्ता शामिल हुए।