🔴 ED को लेकर सुनवाई जारी
सीजी न्यूज ऑनलाइन, 26 अगस्त। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज एफआईआर पर चल रही जांच को रद्द करने की मांग वाली अपनी याचिका वापस ले ली है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने इस वापसी की अनुमति दे दी। दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े मामले में एकल पीठ में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी, मंगलवार को आगे की कार्यवाही चल रही है।
चैतन्य बघेल की ओर से दायर याचिका में एसीबी की जांच को कानूनी रूप से अमान्य बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने तर्क दिया कि इस प्रकार की जांच प्रक्रिया गलत है, इसलिए इससे जुड़ी सभी कार्रवाइयों को निरस्त किया जाना चाहिए। साथ ही, मामले की परिस्थितियों और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायहित में उचित निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया। हालांकि, राज्य सरकार ने याचिका पर प्रारंभिक आपत्तियां दर्ज कीं। इसके बाद याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने अदालत से याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, ताकि भविष्य में बेहतर आधार पर नई याचिका दाखिल की जा सके। बेंच ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इधर, ईडी से संबंधित मामले में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकल पीठ में सोमवार को सुनवाई शुरू हुई, लेकिन कुछ मुद्दों के कारण यह पूरी नहीं हो पाई। अब इस पर मंगलवार को बहस जारी है।
मालूम हो कि शराब घोटाला छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कथित तौर पर हुआ, जिसमें गैर-एक्साइज भुगतान वाली शराब की बिक्री, राजनीतिक गठजोड़ और धन शोधन शामिल हैं। ईडी के अनुसार घोटाला करीब 2,161 करोड़ रुपये का है, जिसमें राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और शराब कारोबारियों का नेक्सस शामिल था।
चैतन्य बघेल पर आरोप है कि उन्होंने घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय से 16.7 करोड़ रुपये प्राप्त किए और 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को हैंडल किया, जिसमें जिसमें फर्जी रियल एस्टेट सौदों के जरिए धन को सफेद करने का काम शामिल था। 18 जुलाई को ईडी ने चैतन्य बघेल को भिलाई में उनके आवास पर छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी उनके जन्मदिन पर हुई। ईडी ने दावा किया कि चैतन्य ने घोटाले से जुड़े धन को राजनीतिक सहयोगियों और पार्टी खातों में पहुंचाने में भूमिका निभाई। अदालत ने उन्हें पांच दिन की ईडी हिरासत में भेजा। बीते 21 और 22 जुलाई को ईडी ने चैतन्य की हिरासत में पूछताछ की थी। उनके वकील फैजल रिजवी ने दावा किया कि ईडी ने तथ्यों को छिपाया और गिरफ्तारी से पहले अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया, जो पक्षपातपूर्ण है। वहीं 3 अगस्त को भूपेश बघेल और चैतन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें ईडी और सीबीआई की गिरफ्तारी तथा जांच की शक्तियों को चुनौती दी गई। भूपेश ने गिरफ्तारी का डर जताते हुए अग्रिम जमानत मांगी थी। अगले दिन जस्टिस सूर्यकांत और जोयमल्या बागची की पीठ ने दोनों को निर्देश दिया कि वे पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपील करें।
अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट से अंतरिम राहत की मांग की जा सकती है। उसी दिन, रायपुर में ईडी अदालत ने चैतन्य की ज्यूडिशियल रिमांड को 18 अगस्त तक बढ़ा दिया। 12 अगस्त को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने चैतन्य की ईडी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। उसके बाद 18 अगस्त को ईडी ने चैतन्य की रिमांड बढ़ाने की मांग की, लेकिन सुनवाई मंगलवार तक टल गई। बीते 23 अगस्त को अदालत ने चैतन्य की ज्यूडिशियल कस्टडी को 14 दिन और बढ़ा दिया था।