CG ख़बर : चुनाव में देवर-भाभी ने गाड़ा जीत का झंडा

CG ख़बर : चुनाव में देवर-भाभी ने गाड़ा जीत का झंडा


🛑 देवर नगर पंचायत अध्यक्ष तो भाभी बनीं सरपंच, जीत की ये है बड़ी वजह

सीजी न्यूज ऑनलाइन 19 फरवरी । Panchayat Election Results 2025: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के गीदम नगर पंचायत और ग्राम पंचायत के चुनाव में देवर और भाभी ने जीत का झंडा गाड़ा है.
छत्तीसगढ़ में इन दिनों नगरीय निकाय से लेकर पंचायत चुनाव का रंग छाया हुआ है. निकाय चुनाव के नतीजों के बाद अब आज 18 फरवरी मंगलवार को पंचायत चुनाव के पहले चरण के नतीजे आ गए हैं. इस बार दंतेवाड़ा के गीदम में देवर और भाभी ने जीत का झंडा गाड़ दिया है. देवर रजनीश सुराना ने नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना कब्जा जमाया है तो वहीं भाभी प्रमिला सुराना हारम ग्राम पंचायत की सरपंच चुन ली गई हैं. दोनों ने ही बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा था. इन दोनों की जीत पर गीदम में जश्न सा माहौल है. जीत की चर्चा भी जोरों पर हो रही है.


पहली बार लड़ा था चुनाव


दरअसल नगरीय निकाय चुनाव में गीदम नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए रजनीश सुराना ने भाग्य आजमाया था. रजनीश के लिए चुनाव लड़ना और राजनीति में एंट्री पहली बार ही हुई. किस्मत चमक गई और अपने निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी और अपने चचेरे भाई रविश को टक्कर दी. 200 से ज्यादा वोटों के अंतर से नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए रजनीश चुनाव जीत गए.


प्रमिला को गांव की जनता ने दोबारा पहनाया ताज


रजनीश की भाभी और पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष मनीष सुराना की पत्नी प्रमिला सुराना ने भी सरपंच का चुनाव दोबारा जीत लिया. प्रमिला ने साल 2019 को ग्राम पंचायत हारम की सरपंच के लिए पहली बार चुनाव लड़ा था. तब वे जीतकर सरपंच बनी थीं. अब फिर से 2025 के चुनाव में भाग्य आजमाया. बीजेपी ने टिकट दिया. चुनावी मैदान मे उतरीं और 268 वोट से चुनाव जीत गईं.


भाई मनीष की दांव पर थी प्रतिष्ठा


रजनीश के बड़े भाई और प्रमिला के पति मनीष सुराना की प्रतिष्ठा इन दोनों ही चुनाव में दांव पर लगी थी. मनीष इलाके में भाजपा के जानें-मानें नेता हैं. वे जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं. पत्नी और भाई को चुनाव लड़ाने के लिए बीजेपी से टिकट दिलाने के लिए जोर आजमाइश की थी. बीजेपी ने भी मनीष पर भरोसा जताया और मनीष के भाई रजनीश को गीदम नगर पंचायत अध्यक्ष और पत्नी प्रमिला को फिर से हारम ग्राम पंचायत के सरपंच पद के लिए टिकट दिया. इन दोनों को जीत दिलाना मनीष की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था. बीजेपी के भरोसे पर खरा उतरे. लोगों का समर्थन मिला और उनके भाई और पत्नी की जीत हो गई.