सीजी न्यूज ऑनलाइन 25 अप्रैल । भिलाई के पत्रकार को पुलिस की झूठी कार्रवाई का शिकार बनकर ढाई साल जेल में रहना पड़ा। 31 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार हाईकोर्ट से उसे न्याय मिला है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दोषी पुलिस अधिकारियों से 5 लाख रुपये मुआवजा वसूलने का निर्देश दिया है।
भिलाई सेक्टर-6 निवासी प्रदीप जैन ‘प्रदीप साइकिल स्टोर’ के नाम से व्यवसाय करते थे और साथ ही पुलिस ज्यादती के खिलाफ समाचार पत्रों में नियमित रूप से खबरें प्रकाशित करते थे। इसी कारण एएसआई आर. के. राय उनसे रंजिश रखने लगा और उन्हें फंसाने की कोशिश करता रहा।
इसी बीच प्रदीप जैन के छोटे भाई की पत्नी ने आत्महत्या कर ली। मामला भिलाई सिटी कोतवाली में दर्ज हुआ, लेकिन 28 दिसंबर 1994 की रात को प्रदीप जैन और उनकी पत्नी साधना जैन को सिटी कोतवाली के बजाय सुपेला थाना लाया गया, जहां एएसआई राय तैनात था। वहां राय ने उन्हें पीटा और धमकी दी कि “ऐसे केस में फंसाऊंगा कि बीस साल जेल में सड़ते रहोगे।”
29 दिसंबर को साधना जैन को सिटी कोतवाली भेज दिया गया, लेकिन प्रदीप जैन को सुपेला थाने में ही रोके रखा गया। अगले ही दिन, यह झूठा दावा किया गया कि प्रदीप जैन को मोहन नगर दुर्ग थाना क्षेत्र के तहत तितुरडीह से 180 ग्राम अफीम बेचते हुए पकड़ा गया है। जबकि वह 28 दिसंबर की रात से लगातार पुलिस हिरासत में थे।
प्रदीप जैन ने यह साबित किया कि उन्हें झूठे केस में फंसाया गया था। दुर्ग की ट्रायल कोर्ट में उन्होंने अपनी बेगुनाही साबित की, लेकिन इसके बावजूद वे लगातार 893 दिन जेल में रहे।
फर्जी केस में फंसाए जाने को लेकर प्रदीप जैन ने जिला अदालत दुर्ग में मुकदमा दायर किया, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने वकील उत्तम पांडे, विकास बाजपेयी और पूजा सिन्हा के माध्यम से हाईकोर्ट में अपील की।
हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद पुलिस अधिकारियों को दोषी माना और प्रदीप जैन को 5 लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश सुनाया। साथ ही निर्देश दिया गया कि इस राशि पर केस दर्ज होने की तिथि से अब तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी जोड़ा जाए और यह पूरी राशि दो महीने के भीतर दी जाए। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार चाहे तो यह राशि दोषी पुलिसकर्मियों से वसूल सकती है।