रायपुर, 19 जुलाई। कल हुए नग्न प्रदर्शन के बाद पूरा राज्य प्रशासन हरकत में आ गया है। वहीं इस मामले में पुलिस की आईटी एक्ट में की गई कार्रवाई पर पुलिस प्रशासन में ही उंगलियां उठाई जा रहीं हैं।
कल इस प्रदर्शन के बाद सीएम भूपेश बघेल ने पुलिस से लेकर मुख्य सचिव, अजा-जजा विभाग के अफसरों को तलब कर लंबित मामलों की जानकारी ली। सीएम ने प्रदर्शन को लेकर अनुमति रद्द होने के बावजूद इन प्रदर्शनकारियों को नजरअंदाज किए पर नाराजगी जताई ।
सीएम के रूख के देखते हुए सचिव अजाक डीडी. सिंह ने कल ही शाम एक पत्र जारी कर 16 विभागों की 20 जुलाई को बैठक बुलाई है। यह बैठक विधानसभा के समिति कक्ष में मुख्य सचिव ने बुलाई है। इसमें फर्जी जाति प्रमाण पत्रों को लेकर उच्च स्तरीय छानबीन समिति की अनुशंसा पर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई का ब्यौरा लेकर आने कहा है।
इन मामलों में अब तक की कार्रवाई के संबंध में अद्यतन स्थिति यह है कि पूर्व में भर्ती हुए और लंबे समय से कार्यरत फ़र्ज़ी जाति प्रमाण पत्र वाले 267 लोगों पर कार्यवाही के संबंध में राज्य शासन द्वारा संबंधित विभागों को कार्यवाही के लिए वर्ष 2020 में पत्र जारी किया गया था। इसमें से 40 लोगों को बर्खास्त किया जा चुका है, कुछ के प्रकरण में कार्यवाही प्रक्रियाधीन है जबकि ज़्यादातर प्रकरणों में न्यायालय से स्टे है।
दूसरी ओर पुलिस की आईटी एक्ट में की गई कार्रवाई और वीडियो के वायरल करने को लेकर निर्देश पर पुलिस प्रशासन में ही उंगलियां उठाई जा रहीं। आईटी एक्ट के जानकार पुलिस अफसरों का कहना है कि जबकि 67A में किसी यौन कृत्य को प्रसारित या प्रकाशित करने का काम आता है किसी के द्वारा विरोध प्रदर्शन में नग्न होना क्या यौन कृत्य में आएगा?