कोचिंग में पहुंचकर पहली बार पता चला कि मेडिकल एंट्रेस के लिए देनी पड़ती है इतनी सारी परीक्षाएं, मन आर्टिस्ट, प्रोफेशन से सर्जन, पढि़ए एक ऐसे डॉक्टर की कहानी जिस पर खुद से ज्यादा लोगों को था भरोसा
भिलाई नगर 4 अप्रैल । दुर्ग निवासी डॉ. अखिलेश स्वर्णकार पेशे से तो ऑर्थोपेडिक्स सर्जन है लेकिन दिल से एक मजे हुए भी आर्टिस्ट भी हैं। जब उन्होंने मेडिकल फील्ड में कदम रखा तो उन पर लोगों का भरोसा इतना ज्यादा था जिसने उन्हें डॉक्टर बनने के मुकाम तक पहुंचा दिया। स्कूल में टॉपर स्टूडेंट रहे डॉ. अखिलेश के लिए मेडिकल एंट्रेस का सफर कई चुनौतियां से भरा रहा। टॉपर होने के बाद भी किसी न किसी फैमिली प्राब्लम के कारण वे हर बार कुछ नंबरों से चूक जाते थे, लेकिन दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के चलते वे अपनी मंजिल तक पहुंच ही गए। डॉ. अखिलेश ने बताया कि जब वे स्कूल में थे तब आर्ट के फील्ड में आगे बढऩा चाहते थे लेकिन टॉपर होने के कारण स्कूल के प्राचार्य ने अपने हाथों से फार्म भरकर उनसे कहा कि वे एक सफल डॉक्टर बन सकते हैं। इसलिए डॉक्टरी फील्ड में हाथ आजमाना चाहिए। गुरु की बात को सिर माथे पर रखकर मैंने भी अपना सौ फीसदी देने का निर्णय किया और तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया पीएमटी क्रैक किया। बिलासपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद पीजी की पढ़ाई पुणे मेडिकल कॉलेज से की। आज जब परिवार के बीच जाता हूं तो खुद में गर्व होते है साथ ही परिवार के लोग भी बड़े गौरवान्वित होकर लोगों से कहते हैं कि हमारा बेटा डॉक्टर है।
12 वीं में टॉप करने के बाद सचदेवा में मिला क्रैश कोर्स करने का मौका
12 वीं में टॉप करने के बाद मुझे पहली बार भिलाई के सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज में मेडिकल एंट्रेस के लिए कै्रश कोर्स करने का मौका मिला। डॉ. अखिलेश ने बताया कि ये पहली बार पता चला कि डॉक्टर बनने के लिए कितनी सारी परीक्षाएं देनी पड़ती है। गाइडेंस के अभाव और सीजी बोर्ड से पढऩे के कारण शुरुआत में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जब मेडिकल एंट्रेस की तैयारी शुरू की तो पहले तो क्लास में कुछ भी समझ नहीं आता था। धीरे-धीरे टीचर्स के मोटिवेशन और काउंसलिंग के बाद खुद पर भरोसा होने लगा और पढ़ाई में मन लगाया। पहले प्रयास में असफलता हाथ लगी लेकिन बैच मैट्स से अच्छे रैंक आने का कारण एक बार और ट्राई करने का मन बनाया। दूसरे साल भी कुछ नंबरों से सीट नहीं मिली। इस दौरान थोड़ा डिप्रेशन था पर परिवार और टीचर्स ने तीसरे प्रयास के लिए मोटिवेट किया। फाइनली तीसरे प्रयास में मेडिकल एंट्रेस क्वालिफाई हो गया।
फिजिक्स को प्रैक्टिस से किया आसान
डॉ. अखिलेश को शुरुआत में फिजिक्स तेड़ी खीर लगती थी। वे कहते हैं कि फिजिक्स का स्कूल में पढ़ा हुआ भी कुछ काम नहीं आ रहा था। ऐसे में उन्होंने लगातार प्रैक्टिस पर फोकस किया और धीरे-धीरे इसे इंप्रूव कर लिया। सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज में पढ़ाई का सबसे अच्छा माहौल मिला। यहां बैच मैट भी ऐसे मिले जो कुछ-कुछ मेरी तरह छोटी-छोटी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके साथ मिलकर पढऩे से काफी फायदा हुआ। सचदेवा की टेस्ट सीरिज तो अपने आप में अमेजिंग हैं। हजारों बच्चों के बीच टेस्ट में टॉप करना और गेस्ट से प्राइज लेना कॉन्फिडेंस बिल्ड करता है। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की मोटिवेशन क्लास में हर बार कुछ नया सीखने को मिलता था जो आज भी काम आ रहा है। यहां के टीचर्स काफी मंजे हुए हैं इसलिए पढऩे में बहुत मजा आता था। पढ़ाई कभी यहां बोरिंग नहीं लगी।
डिसाइड कर लिया तो दें सौ फीसदी
नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगा कि यदि आपने एक बार मेडिकल फील्ड में आने का डिसिजन ले लिया है तो अपना सौ फीसदी देने की कोशिश करें। पढ़ाई के दौरान ये कभी न सोचे कि मेरा सलेक्शन होगा या नहीं बस अपनी मेहनत पर भरोसा रखें। जब कभी नेगेटिविटी हावी हो तो अपने पैरेंट्स और टीचर्स से बात करें। इसके अलावा आपका इंटरेस्ट किसी आर्ट या फिर दूसरे फील्ड में है तो कुछ देर के लिए उसमे भी समय बिताएं। इससे आपका मूड फ्रैश होगा साथ ही खुद को आगे बढ़ाने के लिए मोटिवेशन मिलेगा।