हिन्दू धर्म अपना कर दुर्ग संभाग की शबनम ने कहा “हिन्दू राष्ट्र बनना चाहिए” 🟧 आज महाशिवरात्रि पर बदला नाम, अब रानी के नाम से जानी जाएंगी

<em>हिन्दू धर्म अपना कर दुर्ग संभाग की शबनम ने कहा “हिन्दू राष्ट्र बनना चाहिए” 🟧 आज महाशिवरात्रि पर बदला नाम, अब रानी के नाम से जानी जाएंगी</em>



सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 18 फरवरी। महाशिवरात्रि के पावन मौके पर छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के पांडेय पारा में रहने वाली शबनम रानी ने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
अब बालोद की शबनम ने अपना नाम बदल कर रानी गौर कर लिया है। उन्होंने बताया कि मेरी आस्था शुरू से ही सनातन धर्म में थी। इसी कारण से महाशिवरात्रि के मौके पर मैंने अपना धर्म बदल लिया है। आज पवित्र महा शिवरात्रि का पर्व है और मैं सनातन संस्कृति की रक्षा और सनातन संस्कृति से काफी प्रेरित हूं इसलिए मैं हिंदू धर्म अपना रही हूं। अब मैं अपने पति के साथ उनके धर्म में रहकर जीवन यापन करना चाहती हूं।


आपको बता दें कि महिला शबनम के पति हिन्दू हैं और उसका नाम मनोज गौर है। शबनम ने कहा कि मैं हिंदू सनातन संस्कृति से काफी प्रेरित हूं। यह सबसे पुरानी संस्कृति है और मैं प्रेरणा बनकर इस अभियान में आगे आना चाहती हूं। सनातन संस्कृति के लिए जो भी मुझसे हो सकता है मैं वह करूंगी।


उन्होंने बताया कि आज मैं विधि विधान से हिंदू धर्म में प्रवेश कर रही हूं। मैंने आज शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की है। मंदिर पहुंच दीपक जलाए, पूजा पाठ की है। वो काफी समय से हिंदू धर्म को मानते आ रही हैं और उन्होंने पशुपतिनाथ का व्रत भी रखा है। शबनम रानी ने महाशिवरात्रि के पर्व के दौरान मंदिर में पहुंचे भक्तों से कहा कि यह हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए। सभी को इस बात की शपथ लेनी चाहिए कि हम भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। सनातन संस्कृति ही सबसे पुरानी संस्कृति है और इसी संस्कृति से ही देश का भला हो सकता है।
उन्होंने हिंदू धर्म के लोगों को यह संदेश दिया कि आप सनातन संस्कृति में ही जुड़े रहें। किसी और धर्म में अपना परिवर्तन नहीं करें, इससे बेहतर धर्म कुछ नहीं हो सकता।
दुर्ग संभाग के बालोद शहर अंतर्गत पांडेय पारा स्थित शिव मंदिर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भी इस दौरान मौजूद रहे। बालोद जिला महामंत्री सतीश विश्वकर्मा कहा कि बड़े खुशी का विषय है कि हमारी बहन शबनम आज हमारे पुरातन संस्कृति में प्रवेश कर रही हैं और हमारा केवल इनके साथ यह योगदान है कि हम अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं। शबनम ने इसे अपनाया इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं। मंदिर के संयोजक उमेश सेन ने कहा कि यहां पर आज विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। हम तमाम उन भाइयों बहनों का सम्मान करते हैं जो हमारी संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आना चाहते हैं, हम उनका आभार व्यक्त करते हैं।