हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने अन्य वकील का फर्जी हस्ताक्षर कर लगाई जनहित याचिका, हाईकोर्ट ने शिकायत पर लिया संज्ञान, हाई कोर्ट के इतिहास में इस प्रकार के पहले फर्जीवाड़े मामले की जांच करेंगे महा अधिवक्ता

हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने अन्य वकील का फर्जी हस्ताक्षर कर लगाई जनहित याचिका, हाईकोर्ट ने शिकायत पर लिया संज्ञान, हाई कोर्ट के इतिहास में इस प्रकार के पहले फर्जीवाड़े मामले की जांच करेंगे महा अधिवक्ता


हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने अन्य वकील का फर्जी हस्ताक्षर कर लगाई जनहित याचिका, हाईकोर्ट ने शिकायत पर लिया संज्ञान, हाई कोर्ट के इतिहास में इस प्रकार के पहले फर्जीवाड़े मामले की जांच करेंगे महा अधिवक्ता

चिरमिरी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अधिवक्ता सत्येंद्र सिंह ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय में याचिका (शिकायत) दायर कराई है कि, वकील राजकुमार गुप्ता व उनके जूनियर ने उनका फर्जी हस्ताक्षर कर जनहित याचिका दायर की है।

हाई कोर्ट के इतिहास का यह पहला मामला है, जब एक वकील ने दूसरे वकील के नाम का इस्तेमाल करते हुए उनकी जानकारी और सहमति के बिना उनका फर्जी हस्ताक्षर कर शपथ पत्र बना लिया और याचिका दायर कर दी है।

याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका को रद्द करने और फर्जीवाड़ा करने वाले वकील के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए डिवीजन बेंच ने महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा को प्रकरण की जांच करने और 25 अगस्त 2022 तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा है।

हाई कोर्ट के इतिहास का यह पहला मामला है जब एक वकील ने दूसरे वकील के नाम का इस्तेमाल करते हुए उनकी जानकारी और सहमति के बिना उनका फर्जी हस्ताक्षर कर शपथ पत्र बना लिया और दायर कर दी है।

मुख्य न्यायधीश की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने इस बुधवार को इस मामले की सुनवाई शुरू की। याचिकाकर्ता वकील सत्येंद्र सिंह ने जब हाई कोर्ट में आवेदन पेश कर फर्जीवाड़े की जानकारी देते हुए जनहित याचिका से अपना नाम वापस लेने की गुहार लगाई तब हाई कोर्ट आश्चर्य में आ गया।

आज तक के इतिहास में अपनी तरह के इस अनोखे फर्जीवाड़ा को लेकर हाई कोर्ट ने गंभीरता दिखाई और याचिकाकर्ता सत्येंद्र सिंह को नोटिस जारी कर 29 जून 2022 को कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। बुधवार 29 जून 2022 को इस मामले की सुनवाई हुई।

वकील सत्येंद्र सिंह कोर्ट के निर्देश पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कोर्ट ने पूरे प्रकरण की सिलसिलेवार जानकारी देने कहा। इस पर वकील सत्येंद्र सिंह ने बताया कि पेट्रोल पंप के संचालन पर हाई कोर्ट से आदेश जारी होने के पर उन्होंने मुझसे संपर्क किया और बताया कि  जनहित याचिका Public Interest Litigation दायर की है।

याचिका पर डिवीजन बेंच ने पेट्रोल पंप को बंद करने का फैसला सुनाया है

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि  पेट्रोल पंप संचालक ने इस तरह की कोई याचिका दायर करने की बात से इन्कार किया। इसके बाद  छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के वकील से मोबाइल के जरिए संपर्क साधा और जनहित याचिका के संबंध में जानकारी मांगी। तीन दिनों बाद वकील ने मेरे नाम से जनहित याचिका दायर होने और कोर्ट के फैसले की जानकारी दी। इसके बाद मैंने जनहित याचिका से अपना नाम वापस लेने की गुहार लगाते हुए आवेदन पेश किया है।

*माय लार्ड मै वर्ष 2014 के बाद से हाई कोर्ट नहीं आया-*

वकील सत्येंद्र सिंह से डिवीजन बेंच से पूछा कि वकील राजकुमार गुप्ता ने कोर्ट के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता पहले भी चार पांच याचिका दायर की है। इस पर कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता याचिका दायर करने से इन्कार कर रहे हैं इसकी जांच कराएंगे। सत्येंद्र सिंह ने कोर्ट के समक्ष कहा कि वर्ष 2014 में राज्य अधिवक्ता परिषद का चुनाव लड़ रहा था। उसी दौरान वकीलों से वोट मांगने के लिए बिलासपुर हाई कोर्ट आया था। इसके बाद आजतक बिलासपुर नहीं आया हूं। याचिका दायर करने और वकील आर के गुप्ता  से संपर्क करने का प्रश्न ही नहीं उठता। कोर्ट ने पूछा कि क्या करते हैं। तब उन्होंने बताया कि चिरमिरी सिविल न्यायालय में वकालत करता हूं।

 क्या है पूरा मामला

चिरमिरी हल्दीबाड़ी में एमएम राय एंड संस द्वारा वर्ष 1962 से पेट्रोल पंप का संचालन किया जा रहा है। इस पंप से कुछ दूरी पर एक और पंप का संचालन हो रहा है। व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता के चलते वकील सत्येंद्र सिंह के नाम से फर्जी तरीके से जनहित याचिका  दायर कर एमएम राय एंड संस द्वारा संचालित पेट्रोल पंप को बंद करने की मांग की। जनहित याचिका में जमीन आवंटन सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पेट्रोल पंप संचालन पर रोक लगा दी है।

अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने सतेंद्र सिंह के नाम से फर्जी हस्ताक्षर कर शपथ पत्र करते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका कर दी है। इसकी जानकारी सतेंद्र सिंह को नहीं थी। पंप संचालक द्वारा बताए जाने के बाद जानकारी मिली। सत्येंद्र सिंह ने हाई कोर्ट में आवेदन पेश कर इसकी जानकारी दी है और अपना नाम वापस लेने की मांग की है।

सत्येंद्र सिंह-वकील सिविल कोर्ट शिकायकर्ता चिरमिरी

ये शिकायत निम्न केस में हुई।

केस टाइटल – Surguja Kalyan Trust Samiti and others Versus Union of India and others

केस नंबर – WPPIL No. 13 of 2020 date 11-02-2020