टाउनशिप के आवास लीज धारकों के अतिरिक्त निर्माण पर शीघ्र गिरेगी गाज, पंजीयन बना राजस्व वसूली का माध्यम, रेरा कानून होगा लागू – ज्ञानचंद

<em>टाउनशिप के आवास लीज धारकों के अतिरिक्त निर्माण पर शीघ्र गिरेगी गाज, पंजीयन बना राजस्व वसूली का माध्यम, रेरा कानून होगा लागू – ज्ञानचंद</em>


भिलाई नगर 18 जुलाई । जिला पंजीयक के पास लीज हाउस धारकों के पंजीकृत होने के बाद अब यह बीएसपी हाउस लीज में निर्मित आलीशान मकान रेरा कानून के अंतर्गत आ गए हैं । भिलाई इस्पात संयंत्र में 2002 लेकर 2023 तक लीजधारकों के द्वारा अतिरिक्त निर्माण किया गया है । संयंत्र के अधिकारी पक्षपातपूर्ण कार्यवाही करते थे। जहां जरूरत होती थी वहां तोड़फोड़ करते थे और जहां न्याय प्रक्रिया के अंतर्गत कार्य करना है वहां न्याय प्रक्रिया के अंतर्गत कार्य करते हुए संपदा न्यायालय में प्रकरण को दर्ज कराते रहे हैं । हाउस लीज धारकों के द्वारा किए गए अनाधिकृत निर्माण पर अधिकारियों की मौन चुप्पी संदेह के दायरे में रही। मजेदार बात यह भी है कि जो अधिकारी समय-समय पर इन आवास धारकों को अतिरिक्त निर्माण पर नोटिस भेजा करते थे वे अधिकारी शासन के दबाव में प्रबंधन की ओर से कार्यालय में हाउसिंग के आवास पंजीयन की प्रक्रिया में हस्ताक्षर करने मजबूर हुए। कर्मचारी अधिकारियों से गलत जानकारियां भरवाई गई एवं पंजीयन कार्यालय से उसको पंजीकृत कराया गया।

स्टील सिटी चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन के संरक्षण में पंजीयन की जो प्रक्रिया आरंभ हुई वह दो पक्षों का समझौता है जिसमें शासन के पक्ष में करोड़ों रुपए राजस्व की वसूली एक माध्यम बन गया है।

चेंबर अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने भिलाई इस्पात संयंत्र के इन हाउस धारकों के अतिरिक्त निर्माण पर भिलाई प्रबंधन से जानना चाहा के क्या इन आवासों पर अब पैनल रेट की वसूली आरंभ होगी । क्योंकि इन आवास धारकों ने बिना अनुमति निर्माण किया है और पंजीयन के पश्चात जिस तरीके से शहर के तृतीय पक्ष कहे जाने वाले व्यापारी वर्ग के सहआवास पर प्रतिमाह दण्ड राशि की वसूली होती है। इस तरह की वसूली करने की बाध्यता भिलाई इस्पात संयंत्र की अब हो गई है ।

जैन ने कहा कि यदि हाउस लीज धारक जो भिलाई इस्पात संयंत्र के बड़े-बड़े अधिकारी व कर्मचारी अथवा सेवानिवृत्त कर्मचारी अधिकारी हैं इनके आवास को नियमित करने के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र को कोई नया कानून बनाना होगा और जब नया कानून बनेगा तब उसका लाभ सभी वर्ग के लोगों को होगा जैन ने कहा है कि लीज पंजीयन हेतु जो अनुबंध तैयार किया गया है। उसमें आवाज धारकों को 30 वर्ष बीत जाने के बाद आगामी 66 वर्षों के लिए किसी भी तरह की प्रीमियम राशि नहीं लिए जाने का उल्लेख है जबकि व्यापारियों के लिए अनुबंध में स्पष्ट होने के बाद भी बाजार दर से 25% की राशि का मांगा किया जाना दुखद एवं निंदनीय है । जैन ने प्रबंधन से कहा है कि व्यापारियों के प्रकरण शांतिपूर्वक ढंग से भिलाई इस्पात प्रबंधन निपटा दें अथवा व्यापारियों के द्वारा इस प्रकरण को न्यायालय में ले जाया जाएगा। जिसमें भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों को इस संपूर्ण घटनाक्रम का दोषी मानते हुए अपराधी घोषित करने की मांग करेगा।
ज्ञानचंद जैन ने बी एस पी हाउस लीज धारकों से अनुरोध किया है दो पक्षों के मध्य होने वाले इस तरह के पंजीकृत समझौते से वर्तमान में उन्हें कोई लाभ नहीं है और ना भूमि पर कोई मालिकाना हक मिलने वाला है । पूर्व की तरह जिस तरह वे उन आवासों में रह रहे हैं उसी तरह रहें क्योंकि आप कर्मचारी – अधिकारी हैं इसलिए आपके ऊपर किसी भी तरह का कोई नियम लागू नहीं करेगा । लेकिन पंजीयन कार्यालय में पंजीकृत होने के बाद आप कानून के दायरे में आ जाएंगे और रेरा कानून आपको और अधिकारी को किसी भी तरह बचने नहीं देगा । इसलिए कम से कम 6 माह इंतजार करना चाहिए प्रबंधन की कार्यशैली में एवं नियमों में क्या बदलाव होता है उस पर नजर रखना चाहिए ।
ज्ञानचंद जैन ने भिलाई ऑफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारियों एवं क्षेत्रीय विधायक भिलाई एवं नगर पालिक निगम भिलाई के महापौर के विधि अधिकारियों की लापरवाही का परिणाम लीज धारकों को भुगतने बाध्य होना पड़ा है जिन्होंने नहीं कराया है उन्हें इंतजार करना चाहिए कानून में क्या बदलाव होते हैं इस पर नजर रखना चाहिए ,। ऐसा लगता है कि इन अधिकारियों एवं नेताओं ने राज्य शासन के कोष में राशि की विधि किस राशि से हो इस दिशा में कार्य किया है । जैन ने पुनः कहा कि लीज धारकों को मालिकाना हक नहीं मिलेगा । वर्तमान समय में जब तक केंद्र और राज्य सरकार भूमि के स्वामित्व के संदर्भ में कोई विशेष निर्णय न ले दो पक्षों के मध्य हुए इस करार से आवास धारकों के जेब का पैसा शासन के कोष में चला गया।