चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण पूरा, सरकार ने की डीन, ओएसडी, अधीक्षक की नियुक्ति, डॉ. पीके पात्रा प्रथम डीन और अपर कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना होंगी ओएसडी

चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण पूरा, सरकार ने की डीन, ओएसडी, अधीक्षक की नियुक्ति, डॉ. पीके पात्रा प्रथम डीन और अपर कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना होंगी ओएसडी


चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण पूरा, सरकार ने की डीन, ओएसडी, अधीक्षक की नियुक्ति, डॉ. पीके पात्रा प्रथम डीन और अपर कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना होंगी ओएसडी

भिलाई नगर, 4 सितंबर। चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के लिए राज्य सरकार ने कल राजपत्र में अधिग्रहण अधिसूचना प्रकाशित कर दी है। मेडिकल कॉलेज और संबद्ध अस्पताल के संचालन के लिए डीन, विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी और अस्पताल अधीक्षक की नियुक्तियां भी कर दी गई हैं।

गौरतलब हो कि मानसून सत्र में पारित अधिग्रहण अधिनियम को कल राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है जिससे यह निजी मेडिकल कॉलेज अब सरकारी हो गया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार ने किसी निजी शिक्षा संस्थान का अधिग्रहण किया हो। राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही यहां का चिकित्सा और शिक्षा विभाग सक्रिय हो गया है। विभाग के अपर सचिव राजीव अहिरे ने कल शाम को ही कॉलेज संचालन के लिए जरूरी अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया है। जिसके तहत चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक और सिकलसेल संस्थान के महानिदेशक डॉ. पीके पात्रा को चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का पहला डीन बनाया गया है। डॉ. पात्रा के पास पुरानी जिम्मेदारियां भी बनी रहेंगी। दुर्ग की अपर कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना को मेडिकल कॉलेज का OSD नियुक्त किया गया है। वहीं रायपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. निर्मल वर्मा को चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल का अधीक्षक बनाया गया है।

विदित हो कि चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण पर भारी विवाद रहा है। विपक्ष ने इस अधिग्रहण के जरिए मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा में कहा था कि सरकार जिस कॉलेज के अधिग्रहण के लिए जिद पर अड़ी है उस पर मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। 2017 से उसकी मान्यता खत्म की जा चुकी है। राज्य सरकार छात्रों की आड़ लेकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधकों को लाभ पहुँचा रही है। मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण की घोषणा होते ही भाजपा विरोध पर उतर आई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया और पीयूष गोयल जैसे केंद्रीय मंत्रियों ने कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर आरोप लगाया था। सिंधिया ने कहा था कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने दामाद का निजी महाविद्यालय बचाने के लिए उसे सरकारी कोष से खरीदने की कोशिश में हैं। प्रदेश की राशि का उपयोग अपने दामाद के लिए, वो भी एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जिस पर धोखाधड़ी के आरोप मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा लगाए गए थे।

गौरतलब हो कि मान्यता 2018 में ही रद्द होने से 2017 बैच में दाखिला लिए हुए विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया था। कॉलेज प्रबंधन पर 143 करोड़ रुपए की देनदारी का भी विवाद था। इसकी वजह से इंडियन बैंक ने इसकी संपत्ति को सीज कर दिया था। फरवरी 2021 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके अधिग्रहण की घोषणा की थी।