मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के दौरान पिता के निधन से हुआ डिप्रेशन का शिकार, सचदेवा कॉलेज के डायरेक्टर से मिला मार्गदर्शन बन गया डॉक्टर पढ़ें एक और युवक के सफलता की कहानी
भिलाई नगर 3 अप्रैल । धमतरी के हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल में पढ़कर डॉक्टर बनने वाले सुखनंदन सोनकर स्टूडेंट लाइफ से ही डॉक्टरी प्रोफेशन के प्रति आकर्षित थे। परिवार में बड़े भाई पहले ही डॉक्टर बन चुके थे । उनको समाज में इज्जत मिलते देख मन में स्वयं भी डॉक्टर बनने का सपना संजोने लगे। 12 वीं बोर्ड के बाद मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए भिलाई आ गए। यहां एक साल मन लगाकर मेडिकल एंट्रेस की तैयारी की लेकिन एग्जाम से ठीक पहले पिता जी के आकस्मिक निधन ने उन्हें अंदर से तोड़कर रख दिया। महज कुछ नंबरों से चूकने के कारण पहले ड्रॉप में उन्हें असफलता मिली। पिता के मौत के गम के बीच उन्होंने दृढ़ निश्चय किया अब डॉक्टर बनकर ही घर लौटेंगे और दूसरे साल सेल्फ स्टडी करते हुए टेस्ट सीरिज ज्वाइन किया। लगातार दो साल की मेहनत और लगन आखिरकार रंग लाई और साल 2007 में उन्होंने सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। एक बार जो डॉक्टरी प्रोफेशन में कदम रखा फिर कभी मुड़कर नहीं देखा। एमबीबीएस के बाद पुणे मेडिकल कॉलेज से त्वचा रोग विशेषज्ञ की पढ़ाई करके आज वे धमतरी के अलावा कांकेर जिले के लोगों को प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉ. सुखनंदन कहते हैं पिता जी की मौत मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट बना। उन्हें सही मायने में मैं डॉक्टर बनकर श्रद्धांजलि देना चाहता था। जो आज पूरा हुआ।
डिप्रेशन में चला गया, सोचता था कि मैं कुछ कर पाऊंगा या नहीं
मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के दौरान कई बार डिप्रेशन हावी हुआ। लगातार दो साल ड्रॉप देखकर परिवार और पड़ोस के लोग कई तरह के सवाल पूछते थे। उनके सवालों को सुनकर मुझे भी अपने मेहनत पर शंका होती थी कि मैं जीवन में कुछ कर पाऊंगा या नहीं। बड़े भाई सहित घर के लोगों ने हौसला बढ़ाया। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की काउंसलिंग भी इस डिप्रेशन पियरेड में काफी कारगार साबित हुई। अपने निजी जीवन के कई विषयों पर खुलकर बात करके मन हल्का हुआ और नए उत्साह के साथ मैं तैयारी शुरू की। जिसका रिजल्ट आज दुनिया के सामने है।
सचदेवा में जाकर पता चला कैसे करना है तैयारी
मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज में कोचिंग करने वाले डॉ. सुखनंदन ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि 12 वीं तक की पढ़ाई तो उपर-उपर की रही। सचदेवा में जाकर पता चला कि अगर मेडिकल एंट्रेस क्लीयर करना है तो बेसिक पर फोकस करना पड़ेगा। यहां के टीचर्स ने शुरुआत ही बेसिक से की। घर जैसे माहौल में पढऩे और बिना किसी डर टीचर्स से डाउट पूछने के कारण धीरे-धीरे कॉन्फिडेंस बढ़ता चला गया। पहले फिजिक्स बहुत टफ लगता था। सचदेवा के नोट्स और टेस्ट सीरिज से फिजिक्स आसान लगने लगा। यहां के टेस्ट सीरिज में असल मायने में स्टूडेंट्स को अपनी क्षमता का पता चलता है।
नोट्स बनाकर करें ग्रुप स्टडी
नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगा कि आप जो भी पढ़ रहे चाहे कोचिंग हो या घर हमेशा नोट्स जरूर बनाएं। नोट्स बनाकर पढऩे से हम कहां अटक रहे यह पता चलता है। इसके साथ जो लोग गु्रप में पढऩा पसंद करते हैं उन्हें गु्रप जरूर करना चाहिए। ग्रुप में पढऩे से कई बार दोस्त आपके बहुत सारे डाउट्स क्लीयर कर देते हैं। नोट्स को बार-बार रिवाइज भी करना चाहिए। कड़ी मेहनत से दुनिया के हर एग्जाम को क्रेक किया जा सकता है।