🔴 मेक इन इंडिया को मजबूती
सीजी न्यूज ऑनलाइन 21 अगस्त। भारत ने पिछले एक दशक में मेक इन इंडिया पहल के तहत रक्षा क्षेत्र को एक नई उड़ान दी है। भारत की इस पहल में इजरायल उसका एक प्रमुख सहयोगी बनकर उभरा है। दोनों देशों की दोस्ती लगातार बढ़ रही है।
पिछले एक दशक में भारत ने अपनी औद्योगिक और सुरक्षा नीतियों में एक रणनीतिक बदलाव किया है। भारत ने दुनिया के बड़े रक्षा खरीदार की छवि को बदलते हुए इसने आत्मनिर्भर भारत पहल शुरू की, जो आज देश के आर्थिक, औद्योगित और सुरक्षा एजेंडे को आकार दे रही है। भारत ने उन्नत रक्षा प्रणालियों के लिए घरेलू अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता दी है और आयात पर निर्भरता कम की है। रक्षा क्षेत्र में भारत की इस मेक इन इंडिया पहल में इजरायल उसका अहम सहयोगी बनकर उभरा है। भारत-इजरायल सुरक्षा प्रौद्योगिकी साझेदारी व्यवहार में तकनीकी राष्ट्रवाद का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
इजरायल और भारत का बढ़ता रक्षा सहयोग
इजरायल के साथ भारत ने रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदारी विकसित की है, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ संयुक्त विकास शामिल है। उल्लेखनीय संयुक्त परियोजनाओं में बराक-8 मिसाइल शामिल है, जिसे इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह इजरायल की तकनीकी विशेषज्ञता को भारतीय निर्माण क्षमता से जोड़ता है।
हेरॉन और सर्चर मॉडल जैसे मानव रहित हवाई वाहन (UAV), टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ स्थानीय घटक उत्पादन को सक्षम बनाते है। हैदराबाद में अडानी-एल्बिट यूएवी विनिर्माण सुविधा जैसी निजी क्षेत्र की पहल इसका उदाहरण है। इसके अलावा दोनों के सहयोग में सटीक हथियार प्रणाली परियोजना भी शामिल हैं। इसमे राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम के स्पाइस सटीक-गाइडेड गोला-बारूद और हल्की मशीन-गन जिन्हें 2020 के अनुबंध के तहत इजरायल वेपन इंडस्ट्रीज (IWI) से खरीदा गया था।
दोनों देशों के साझा हित
दोनों देशों के बीच बढ़ती दोस्ती साझा हितों से जुड़ी हुई है। भारत स्थानीय उत्पादन स्वायत्ता क्षमताओं को बनाएं रखते हुए उन्नत तकनीकों तक पहुंच सुनिश्चित कर रहा है। वहीं इजरायल भारत के विशाल रक्षा बाजार तक पहुंच का विस्तार कर रहा है और दक्षिण एशिया में रणनीतिक प्रभाव को गहरा कर रहा है।
हालांकि, दोनों के बीच में चुनौतियां भी हैं, लेकिन अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स, सैन्य एआई और 5जी में सहयोग बढ़ाने जैसे अवसर भी उभर रहे हैं। भारत उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों का लाभ उठा सकता है, जिसमें संयुक्त विकास केंद्रों के रूप में कई विशिष्ट औद्योगिक केंद्र शामिल हैं। दोनों देश संयुक्त रक्षा स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए द्विपक्षीय निवेश कोष स्थापित कर सकते हैं