Sawan 2025 Ekadashi : सावन में कब है एकादशी तिथि, क्यों रहेगी खास? जानें डेट

Sawan 2025 Ekadashi : सावन में कब है एकादशी तिथि, क्यों रहेगी खास? जानें डेट


सीजी न्यूज ऑनलाइन 06 जुलाई । भगवान शिव का प्रिय सावन मास शुरू होने वाला है। इस महीने की एकादशी तिथि भी बहुत खास मानी गई है। इस बार सावन की दोनों एकादशी पर शुभ संयोग बन रहा है।

जानें सावन एकादशी की डेट


हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना श्रावण शिव भक्ति के लिए बहुत ही खास माना गया है। इस महीने में आने वाली दोनों एकादशी भी बहुत खास मानी गई है क्योंकि शिव के महीने में भगवान विष्णु की पूजा बहुत दुर्लभ फल देने वाली होती है। सावन 2025 में 2 एकादशी आएगी। खास बात ये है कि इन दोनों ही एकादशी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है जिसके चलते इनका महत्व और भी बढ़ गया है। जानें सावन 2025 की एकादशी डेट…

कब है सावन 2025 की पहली एकादशी?


पंचांग के अनुसार, सावन 2025 की पहली एकादशी 21 जुलाई, सोमवार को है। इस एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। सावन का सोमवार और एकादशी का संयोग बहुत ही दुर्लभ माना गया है यानी इस दिन शिवजी के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी की जा सकेगी। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से वृद्धि, ध्रुव, वर्धमान, आनंद, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि नाम के 6 शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है।

कब है सावन 2025 की दूसरी एकादशी?


सावन की दूसरी एकादशी का संयोग 5 अगस्त, मंगलवार को बन रहा है। इसे पुत्रदा और पवित्रा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा करने का विधान है। सावन की दूसरी एकादशी पर मंगला गौरी व्रत का संयोग भी बहुत ही शुभ फल देने वाला माना गया है। इस दिन इंद्र और छत्र नाम के शुभ योग होने से इसका महत्व भी अधिक रहेगा।

क्या है सावन मास का असली नाम?


लगभग सभी लोग भगवान शिव के इस प्रिय महीने को सावन के नाम से जानते हैं लेकिन इसका सही नाम सावन नहीं बल्कि श्रावण है। धर्म ग्रंथों में इस महीने का यही नाम बताया गया है। श्रावण शब्द ही बोलते-बोलते कालांतर में सावन कहा जाने लगा। वर्तमान में सावन शब्द ही सबसे ज्यादा प्रचलित है।

क्यों है इस महीने का नाम श्रावण?


विद्वानों के अनुसार, श्रावण का अर्थ है सुनना क्योंकि इस महीने में भगवान शिव की महिमा व कथाएं आदि सुनने का विशेष महत्व है, इसलिए इस महीने का ये नाम रखा गया है। ज्योतिषियों के अनुसार, श्रावण महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का ये नाम है।