सीजी न्यूज ऑनलाइन, 20 जून। हमर लैब घोटाले में फंसे मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह गंभीर आर्थिक अपराध है, जिससे आम जनता और स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा नुकसान हुआ है। ऐसे मामलों में रिहाई से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससीएल) के तहत हमर लैब बनाई गई थी। इसमें मरीजों की जांच के लिए रीएजेंट और टेस्ट मशीनें खरीदी जानी थीं। आरोप है कि शशांक चोपड़ा की कंपनी मोक्षित कॉर्पोरेशन ने कुछ अन्य कंपनियों से मिलकर मिलावटी टेंडर (पूल टेंडरिंग) किया और ठेका हासिल किया। ठेका मिलने के बाद कंपनी ने बाजार से कई गुना ज्यादा दाम पर सामान सप्लाई की।
उदाहरण के तौर पर, 8 रुपये की क्रीम 23 रुपये में बेची गई। महंगी मशीनें खरीदी गईं, लेकिन वे पूरी तरह इस्तेमाल में नहीं लाई गईं। कई जगह मशीनें लगाई ही नहीं गईं और जहां लगाई गईं, वहां भी इन्हें लॉक कर दिया गया। इससे करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान राज्य सरकार को हुआ करीब 95 लाख रुपये के रीएजेंट बर्बाद हो गए
घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू और एसीबी ने की। जांच में सामने आया कि कई सरकारी अफसर भी इसमें शामिल थे। सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (भरोसे की गड़बड़ी), 120बी (साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज हुआ। चोपड़ा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
शशांक चोपड़ा ने हाईकोर्ट में नियमित जमानत की अर्जी लगाई थी, जिस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की एकलपीठ में सुनवाई हुई। राज्य की ओर से एडवोकेट डॉ. सौरभ पांडे ने पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा कि यह घोटाला सीधे जनता की सेहत से जुड़ा है। अस्पतालों में लोग इलाज नहीं करवा पा रहे हैं। ऐसे में जमानत देना गलत संदेश देगा और न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा कमजोर होगा। कोर्ट ने उसक्ती जमानत याचिका खारिज कर दी।