सीजी न्यूज ऑनलाइन 20 मई। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तब खलबली मच गई, जब दो शिक्षक अपने तबादले आदेश के साथ पदस्थापना के लिए पहुंचे और जांच में वह आदेश फर्जी निकला। अधिकारी ने दोनों के तबादला आदेश को निरस्त कर दिया। इस कार्रवाई के खिलाफ दोनों शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान जब उन्हें बताया गया कि उनका आदेश फर्जी है, तो उन्होंने अपने पूर्व विद्यालय में वापसी के लिए 10 दिन का समय मांगा।
शिक्षकों के पास जो ट्रांसफर आदेश था, वह हूबहू सरकारी आदेश प्रतीत हो रहा था। आदेश में उल्लेख किया गया था कि नियुक्ति अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी। स्थानांतरण का आधार प्रशासनिक कारण बताया गया था। जांच में यह सामने आया कि स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव आरपी वर्मा के फर्जी हस्ताक्षर से अलग-अलग जिलों में आधा दर्जन शिक्षकों का तबादला दर्शाया गया है। इस संबंध में अवर सचिव ने रायपुर के राखी थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
मौजूदा मामला जांजगीर-चांपा में पदस्थ ज्योति दुबे और सूरजपुर में पदस्थ श्रुति साहू का है। दोनों कुछ दिन पहले बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ट्रांसफर आदेश लेकर पहुंची थीं। आदेश की प्रामाणिकता जांचने पर वह फर्जी पाया गया, जिसके बाद डीईओ ने अप्रैल माह में दोनों के आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें अपने पुराने पदस्थापन स्थल में रिपोर्ट करने को कहा। साथ ही, उन्हें कार्यमुक्त करने का आदेश भी जारी कर दिया गया। दोनों शिक्षिकाओं ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की और डीईओ के आदेश को रद्द करने की मांग की।
राज्य सरकार की ओर से सुनवाई में बताया गया कि शिक्षकों के ट्रांसफर आदेश फर्जी पाए गए हैं, इसलिए आदेश निरस्त किया गया। इस पर शिक्षिकाओं ने आग्रह किया कि उन्हें फिर से पूर्व स्कूल में रिपोर्ट करने के लिए कम से कम 10 दिन का समय दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल की एकलपीठ ने परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दोनों शिक्षकों को 10 दिन की राहत दी है।
फर्जी ट्रांसफर आदेश 1 मार्च को जारी बताया गया, जो कि शनिवार का अवकाश था। इसी कारण आदेश पर पहले ही शक जताया गया। जब इसे सत्यापित करने के लिए मंत्रालय में संपर्क किया गया, तो पता चला कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। अब इस पूरे मामले की जांच पुलिस कर रही है और यह स्पष्ट होगा कि आदेश कहां से और किसने तैयार किया।