एक साल डिमोशन की सजा: विवादों में घिरे TI कलीम खान को जांच के बाद बनाया SI

एक साल डिमोशन की सजा: विवादों में घिरे TI कलीम खान को जांच के बाद बनाया SI


🛑 चार साल पुराने केस में आरोपी से पैसे मांगने के आरोप में विभागीय कार्रवाई

🛑 तीन जिलों से 82 लाख की ठगी, जांच में दोषी पाए गए ‘आउट ऑफ टर्म’ प्रमोटेड अफसर

🛑 पैरोल पर छूटे आरोपी की पत्नी की शिकायत पर टूटी वर्दी की प्रतिष्ठा

सीजी न्यूज ऑनलाइन 06 मई। राज्य पुलिस सेवा के सबसे विवादित नामों में शुमार और साइबर अपराध विशेषज्ञ कहे जाने वाले टीआई कलीम खान आखिरकार विभागीय कार्रवाई की चपेट में आ ही गए। चार साल पुराने एक ठगी मामले में आरोपी से कथित रूप से रुपये मांगने के आरोप में जांच पूरी होने पर बिलासपुर रेंज के आईजी संजीव शुक्ला ने उन्हें निरीक्षक पद से पदावनत करते हुए एक वर्ष के लिए उप निरीक्षक बना दिया है। वर्तमान में वे अंबिकापुर साइबर सेल में पदस्थ हैं।

तीन आरोप हुए थे सिद्ध

विभागीय जांच में निरीक्षक कलीम खान पर तीन आरोप सिद्ध हुए थे जिसमें बिना अनुमति के हवाई यात्रा दूसरा बिना अपराध दर्ज किया व्यक्ति को हिरासत में लेना एवं तीसरा हिरासत में लिए गए व्यक्ति से गलत ढंग से रुपए की वसूली था।

दिल्ली में गिरफ्तारी, बिलासपुर में बवाल

वर्ष 2020 में कोनी थाना क्षेत्र में तीन जिलों के अभिभावकों से मेडिकल कॉलेज में दाखिले के नाम पर 82 लाख रुपये की ठगी हुई थी। टीआई कलीम खान उस समय बिलासपुर में पदस्थ थे और उन्होंने दिल्ली जाकर एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। बाद में आरोपी की पत्नी ने आरोप लगाया कि खान ने केस को कमजोर करने और जमानत दिलाने के बदले पैसों की मांग की।

तीन एसपी, पांच साल, एक फैसला

शिकायत पहले एसपी प्रशांत अग्रवाल के कार्यकाल में हुई, जांच एसपी दीपक झा ने करवाई, फिर विभागीय कार्रवाई एसपी पारुल माथुर ने आरंभ की। यह मामला संतोष सिंह और रजनेश सिंह जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यकाल में भी जांच के दायरे में बना रहा। आखिरकार, आईजी ने कार्रवाई कर कलीम खान को डिमोट कर दिया।

आउट ऑफ टर्न’ प्रमोशन से सीधे विभागीय दंड

पूर्व में रायपुर में एक चर्चित केस की गिरफ्तारी के बाद कलीम खान को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन मिला था। यह पहला मामला था जब मैदानी क्षेत्र के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोशन दिया गया। लेकिन अब वही अधिकारी विभागीय अनुशासन के तहत दंडित हुआ है।

विवादों से पुराना नाता

बिलासपुर जिले में चकरभाठा, कोतवाली, सिविल लाइन और साइबर सेल जैसे थानों में सेवाएं दे चुके खान की छवि एक ‘तेज तर्रार पर विवादित’ अधिकारी की रही है। उन्होंने कई हाईप्रोफाइल केस हल किए, जिनमें विराट अपहरण कांड शामिल रहा। लेकिन विधायक शैलेश पांडे से टकराव और कार्रवाई के तौर-तरीकों को लेकर वे कई बार विवादों में रहे।

फरार आरोपी और अधूरी न्यायिक प्रक्रिया

जिस आरोपी की गिरफ्तारी में कलीम खान ने अपनी टीम के साथ दिल्ली तक अभियान चलाया था, वह कोरोना काल में पैरोल पर छूटकर अब तक फरार है। लेकिन उसकी पत्नी की शिकायत ने जांच को उस मोड़ तक पहुंचा दिया, जहाँ से वर्दी की इज्जत को गहरा झटका लगा।

साफ संदेश: देर से ही सही, लेकिन न्याय होगा

इस कार्रवाई के माध्यम से पुलिस महकमे ने संकेत दे दिया है कि चाहे कोई भी अधिकारी हो, यदि वह नैतिक दायित्वों से भटकेगा, तो कानून की सुई कभी न कभी उसकी ओर जरूर घूमेगी। विभागीय जांच की इस कार्रवाई ने ‘आउट ऑफ टर्म प्रमोटेड’ अफसर को ‘डिमोटेड इन डिस्ग्रेस’ बना दिया।